सरकार को एक बार फिर राज्यसभा से बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रयास पर एक बार फिर विपक्ष ने पानी फेर दिया है। सोमवार को सदन में कई मंत्रियों और नेताओं की गैर मौजूदगी में विपक्ष ने इस बिल में संधोसन के प्रस्ताव को पारित करा लिया है। विपक्ष ने प्रस्ताव में नियम तीन के हटाने के बाद अपनी मुहर इस बिल पर लगाई। इसके बाद ये प्रस्ताव सर्वसहमति के साथ पास हो गया। संविधान में 123 वें संसोधन के तहत पिछड़े वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाना है।
विपक्ष की ओर से लाये गये इन संसोधनों में धार्मिक आरक्षण की बात कही गई है। संख्याबल की अधिकता के चलते विपक्ष का ये संसोधन प्रस्ताव पारित हो गया। इसके बाद अब इस विधेयक को लोकसभा में पारित होने के लिए भेजा गया है। सरकार ने संसोधन के पहले अपनी दलील देते हुए कहा था कि इस विधेयक में किसी भी तरह का संसोधन इसे कमजोर बना देगा और ये अदालत में नहीं टिक पायेगा। लेकिन विपक्ष के संसोधन प्रस्ताव के परित होने के बाद अब सरकार नये सिरे से इसे लोकसभा में रह सकती है।
इसके पहले ये बिल लोकसभा में सरकार पारित करा चुकी थी। इस बिल को उसने राज्यसभा के पटल पर रखा था। लेकिन विपक्ष इसमें संसोधन के लिए लगातार दबाव बना रहा था। इस विधेयक को परित कराने के लिए सदन में सरकार का दो तिहाई बहुमत होना जरूरी था। लेकिन सरकार के पास इस बहुमत की कमी का फायदा विपक्ष ने उठाकर सदन में इसमें संसोधन प्रस्ताव परित करा सरकार के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।
हांलाकि सामाजिक न्याय मंत्री य़ावर चंद गहलोत ने साफ किया कि सरकार प्रस्तावित संशोधनों को ध्यान में रखेगी। लेकिन विपक्ष ने सरकार की दलीलों को मानने से इनकार करते हुए इस मुद्दे पर वोटिंग कराने का प्रस्ताव दिया। जिसके बाद विपक्ष के पक्ष में 74 और सरकार के पक्ष में 52 वोट पड़े आखिरकार लम्बी बहस के बाद नियम 3 को इस विधेयक से बाहर कराकर विपक्ष ने इस पर मुहर लगा दी है। नियम तीन को हटाकर जब वोटिंग कराई गई तो 124 वोट इसके पक्ष में पड़े किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। हांलाकि सरकार के पक्ष के कुछ सदस्यों कै कहना था कि अगर ये विधेयक रूक जाता तो पिछड़े वर्ग को बड़ी निराशा होती। हांलाकि संसोधनों पर सरकार और विपक्ष की रार अंत तक बनी रही । सरकार ने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष पिछड़ों के लिए कोई राहत देने के मूड में नहीं है।