नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने का फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता में 7 जजों की पीठ ने इस मुद्दे पर बुधवार को सुनवाई शुरू की। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने बहस शुरू करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को ये निर्देश दें कि जस्टिस कर्णन को कोई काम नहीं दिया जाए। अब यह प्रशासनिक मसला नहीं रहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस कर्णन के न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारों को वापस ले लिय़ा है। साथ ही कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को सभी न्यायिक फाइलें हाईकोर्ट को तत्काल प्रभाव से सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है और 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी ने कहा कि जस्टिस कर्णन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कार्रवाई करें ताकि ये संदेश जाए कि कोर्ट अपने खिलाफ भी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, ‘हमें बड़ी सावधानी से कोई कदम उठाना होगा ताकि आगे ये नजीर बन सकें।’
मोदी को चिट्ठी
बता दें कि जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर नोटबंदी के फैसले पर उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि नोटबंदी से देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में अब भी ब़ड़े स्तर पर मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है। चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए थे और कहा गया था कि इस मामले की जांच किसी एजेंसी के जरिए करवानी चाहिए।
विवादों से करनन का नाता
जस्टिस कर्णन का नाम विवादों में पहली बार नहीं आ रहा है बल्कि कई बार आ चुका है। उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कॉल समेत कई और जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की और आरोप लगाए। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कोलेजियम के उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था।
क्या कहता है नियम
गौरतलब है कि किसी भी हाईकोर्ट य़ा सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव पारित किया जाता है। अगर दोनों सदनों में इस प्रस्ताव को दो तिहाई बहुमत मिल जाता है तो उस मामले पर आगे की कार्यवाही की जाती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले खुद ही सुनवाई का फैसला किया है।
इस मामले में वह 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे।