नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को बीते शुक्रवार को खारिज कर दिया जिसमें महिलाओं पर यौन उत्पीड़न और रेप का केस चलाने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसे मामलों में अगर पुरूष के साथ महिलाओं ने अपराध किया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए और मुकद्दमें चलाए जाने चाहिए। लेकिन आईपीसी के कानूनी प्रावधान के मुताबिक रेप और छेड़छाड़ मामले में आरोपी पुरुष हो सकते हैं और महिलाएं पीड़ित, लेकिन ये संविधान के प्रावधान के खिलाफ है।

बता दें कि याचिकाकर्ता वकील ऋषि मल्होत्रा ने दलील दी है कि आईपीसी की धारा-354 और 375 में छेड़छाड़ और रेप को परिभाषित किया गया है। इन धाराओं में किसी भी पुरुष के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने का प्रावधान है। महिलाओं को यहां पीड़ित माना गया है और आरोपी कोई पुरुष हो सकता है, पर अपराध कोई भी कर सकता है।
वहीं याचिकाकर्ता मल्होत्रा का कहना है कि रेप और छेड़छाड़ में लिंग भेद नहीं हो सकता। इसमें लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता क्योंकि महिलाएं भी ऐसा अपराध कर सकती हैं। ऐसे में आईपीसी की धारा-375 यानी रेप और 354 यानी छेड़छाड़ मामले में किसी के खिलाफ भी केस दर्ज किए जाने का प्रावधान होना चाहिए। यानी किसी आदमी के बदले किसी के भी खिलाफ केस दर्ज करने का प्रावधान होना चाहिए।