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स्‍टेशनरी और किताबों का धंधा, कोरोनाकाल में पड़ा ठंडा

Untitled स्‍टेशनरी और किताबों का धंधा, कोरोनाकाल में पड़ा ठंडा
  • स्कूल और दफ्तरों में घट की खपत, लॉकडाउन में बुक मार्केट में पसरा सन्‍नाटा
  • स्‍कूल बंद होने से पाठयक्रम साम्रा‍गि‍यों की नहीं हो रही ब्रिकी

लखनऊ। पिछले एक साल से वैश्विक महामारी के संक्रमण काल में स्टेशनरी कारोबार भी बेपटरी हो चुका है। जिसका बड़ा कारण है स्कूल और कोचिंग क्लासेस का बंद होना। तो वही राजधानी में कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों की रोजमर्रा की ज‍िंदगी इस कदर प्रभावि‍त कर दी, कि लोग बाहर नि‍कले से भी कतराते हैं।

हालां‍क‍ि प्रदेशव्‍यापी लॉकडाउन में तमाम सरकारी व प्राइवेट दफ्तर भी बंद रहे। इससे राजधानी का स्‍टेशनरी कारोबार चौपट हो चुका है। अमीनाबाद बुक मार्केट कारोबारियों का मानना है कि पिछले एक साल से कोविड संक्रमण ने उनके कारोबार पर ग्रहण लगा दिया है। स्कूल और कॉलेज बंद होने से कॉपी, किताबों और स्टेशनरी की खपत ना के बराबर बची है। ऐसे में खर्च निकाल पाना भी दूभर हो रहा है। जिससे सभी स्टेशनरी और बुक सेलर भी काफी परेशान है।

एक साल से चल रही मुसीबत की बयार

दरअसल, कोविड-19 के संक्रमण से बचाने के लिए पिछले साल मार्च महीने में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा हुई थी। सरकारी गाइड के अनुसार, स्कूल कॉलेज और कोचिंग संस्थान के साथ निजी और सरकारी संस्थान बंद हो गए थे।

इसी बीच स्कूलों में नया ऑनलाइन पढ़ाई का सत्र शुरू हो गया। राजधानी के सभी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई लेकिन अभी तक सभी स्टूडेंट्स ने अपनी किताबें भी नहीं खरीदी। आलम यह है कि पिछले एक साल से किताबों और स्टेशनरी का कारोबार इस कदर प्रभावित हुआ। अभी भी कारोबारियों को मुनाफा तो दूर बल्कि नुकसान झेलना पड़ रहा है।

सिमटा गया करोड़ों का कारोबार

अमीनाबाद बुक मार्केट में करीब 800 से ज्यादा किताबों और स्टेशनरी की दुकानें हैं। तंग गलियों के बीच यह कारोबारी थोक व फुटकर में किताबों और स्टेशनरी का कारोबार करते हैं। इसके अलावा फुटपाथ पर छोटे कारोबारी रजिस्टर कॉपी पेन पेंसिल समेत अन्य स्टेशनरी का सामान बेचते हैं। आमतौर पर नए सत्र की शुरुआत पर अमीनाबाद बुक मार्केट में करीब करोड़ों की स्टेशनरी और किताबों का व्यापार होता है।‌ मगर इस सत्र में किताबों कारोबार सिमट गया।

ऑनलाइन चलन ने तोड़ दी कमर

कोविड-19 के दौर में सभी शिक्षण संस्थान बंद है। तो वही सरकारी और 11 सरकारी दफ्तरों में भी ऑनलाइन का चलन बढ़ चुका है। ऐसे में फैलते संक्रमण से बचने के लिए लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं।‌ इसके अलावा ऑनलाइन के चलन को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं। जबकि कोविड-19 के दौर में हर कोई पेपर वर्क या फिर उसे लेने में बच रहा है। यही वजह है कि इस वक्त ऑनलाइन चलन ने स्टेशनरी कारोबारियों की कमर तोड़ कर दी है।‌

सिलेबस की थमी बिक्री

अमीनाबाद बुक मार्केट के कारोबारी ने बताया कि हर साल स्कूल और डिग्री कॉलेज के नए सत्र शुरू होने पर बुक मार्केट और स्टेशनरी की दुकानों में जबरदस्त बिक्री होने लगती है। मगर पिछले साल की तरह इस बार भी स्कूल कॉलेज बंद होने से स्टेशनरी ही नहीं बल्‍क‍ि अभि‍भावक अपने बच्‍चों की किताबें और कोर्सेज भी नहीं खरीद सके हैं। हालांकि, स्कूल की किताबें भी दुकानों में मौजूद है, लेकिन खरीददार संक्रमण के डर से किताबों से अभी भी कोसों दूर है।

कारोबारियों ने सुनाई दास्‍तां

अमीनाबाद बुक मार्केट के कारोबारी नीरज पाठक ने बताया कि इस बार भी किताबों का कारोबार ठप हो गया है। अधिकांश अभिभावकों ने आज भी अपने बच्चों की किताबें नहीं खरीदी है। ऐसे में किताबों की खेप दुकानों में मौजूद हैं।

वहीं स्टेशनरी की  बिक्री नहीं हो पा रही है। राजाजीपुरम के स्‍टेनशरी कारोबारी सतीश चौरसिया, चौरसिया का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण में कारोबार तो वैसे ठप सा हो गया है। लेकिन स्कूल और कॉलेज के साथ लॉकडाउन में ऑफिस भी बंद रहे। इसमें स्टेशनरी और किताबों का भी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

 

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