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राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण- सुप्रीम कोर्ट

SC ने केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध माना

सरकारी नौकरियों की पदउन्नति में एससी/एसटी को आरक्षण देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि  प्रमोशन में एससी/एसटी को आरक्षण मिलेगा। कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण देन का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकारी नौकरीयों के प्रमोशन में आरक्षण पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नहीं है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था।इसलिए इस पर फिर से विचार करना जरूरी नहीं है। यानी इस मामले को दोबारा 7 जजों की पीठ के पास भेजना जरूरी नहीं है।

 

राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण - सुप्रीम कोर्ट
राज्य दे सकते हैं SC/ST को प्रमोशन में आरक्षण – सुप्रीम कोर्ट

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फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये साफ है कि नागराज फैसले के मुताबिक डेटा चाहिए। लेकिन राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग का प्रतिनिधित्व अल्प दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्रित करना जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकार की हैं।कोर्ट ने कहा कि आंकड़े जारी करने के बाद राज्य सरकारें आरक्षण पर विचार कर सकती हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए कुछ कारकों को ध्यान में रखकर नीति बना सकती हैं।

आरक्षण के निम्न तत्व हो सकते हैं-

  • वर्गों का पिछड़ापन निर्धारण
  • नौकरी में उनके प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता
  • संविधान के अनुच्छेद 335 का अनुपालन

कोर्ट ने कहा कि पिछड़ेपन का निर्धारण राज्य सरकारों द्वारा एकत्र आंकड़ों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। गौरतलब है कि नागराज बनाम संघ के फैसले के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती। इस सीमा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि ‘क्रीमी लेयर’ के सिद्धांत को सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में एससी-एसटी आरक्षण में लागू नहीं किया जा सकता।गौरतलब है कि 2006 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन पर आरक्षण को लेकर फैसला दिया था।उस वक्त कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ इस तरह की व्यवस्था को सही ठहराया था।

एम.नागराज का फैसला-

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में केस में एम. नागराज को लेकर फैसला दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा सरकारी नौकरियों की पदोन्नतियों में एससी-एसटी आरक्षण में लागू नहीं की जा सकती।जैसा अन्य पिछड़ा वर्ग में क्रीमी लेयर को लेकर पहले के दो फैसलों 1992 के इंद्रा साहनी व अन्य बनाम केंद्र सरकार (मंडल आयोग फैसला) और 2005 के ईवी चिन्नैय्या बनाम आंध्र प्रदेश के फैसले में कहा गया था। लेकिन आरक्षण के लिए राज्य सरकारों को वर्ग के प्रतिनिधित्व का मात्रात्मक आंकड़े देने होगे।

 नागराज मामले में केंद्र सरकार तर्क-

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 2006 में नागराज मामले में आया फैसला ST/SC कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने में बाधा डाल रहा है। लिहाजा इस फैसले पर फिर से विचार की आवश्यकता है।

महेश कुमार यदुवंशी 

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