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बम फूटा पाकिस्तान में परेशान हैं कांग्रेसी: नरेद्र मोदी

narendra modi in meerut बम फूटा पाकिस्तान में परेशान हैं कांग्रेसी: नरेद्र मोदी

गोहपुर (असम)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को असम में लोकसभा चुनाव प्रचार करते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। असम के गोहपुर में उन्होंने कहा कि आपके प्रदेश के हितों की रक्षा यह चौकीदार ही कर सकता है। इस चौकीदार से आपको प्यार है और उन्हें खौफ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास ऐसे मामाओं की फौज है, जिन्होंने देश को लूटने का काम किया है। उन्होंने कहा कि असम ने तो एक प्रधानमंत्री तक दिया, मगर वह ऐसे थे कि असम के लोगों को याद भी नहीं है।

विपक्षी दलों के गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि महामिलावट वाले कोई दूसरे ही बाजे बजा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हालत इतनी खराब है कि इस चौकीदार का विरोध करते-करते वे भारत का भी विरोध करने लगे हैं। भारत का विरोध करने वालों का साथ असम देगा क्या? ऐसे लोग असम का भला कर सकते हैं क्या? ऐसे लोग असम में घुसपैठियों की समस्या को हल कर सकते हैं क्या?’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोई भी मामा देशहित से बड़ा नहीं हो सकता है। कांग्रेस के पास तो मामाओं की फौज है। क्वात्रोची मामा, मिशेल मामा। ये ऐसे मामा हैं, जिन्होंने देश को लूटने में कांग्रेस का साथ दिया। 11 अप्रैल के दिन आपके पास चौकीदार को मजबूत करके देश के दलालों और घुसपैठियों को कड़ा संदेश देने का अवसर है।’ प्रधानमंत्री मोदी ने रैली में ‘मैं भी चौकीदार’ के नारे भी लगवाए।

‘भारत को लूटने वालों के साथ विदेश में क्या हो रहा, देखा होगा आपने’

उन्होंने कहा, ‘भारत को धोखा देने वालों और लूटने वालों के साथ देश से लेकर विदेश तक में क्या हो रहा है, आप टीवी पर देखते ही होंगे। असम का भला वही कर सकता है, जिनके दिल में असम बसता है। आप देख सकते हैं केंद्र और राज्य में बीजेपी की डबल इंजन वाली सरकार मिल जाने से कैसे विकास में तेजी आती है।’

12 सीटों पर होगा महामुकाबला

लोकसभा चुनाव के लिए सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान जारी है। इस बार उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड की ऐसी कई सीटें हैं जहां मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इन तीनों ही राज्यों में 2014 चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया था लेकिन इस बार बिहार में महागठबंधन और यूपी में एसपी-बीएसपी-आरएलडी के गठबंधन की बदौलत इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार को कड़ी टक्कर मिलने वाली है। एक नजर इन सीटों पर-

यूं तो अमेठी कांग्रेस का गढ़ है और गठबंधन भी यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतार रहा है, फिर भी अमेठी में इस बार मुकाबला कांटे का होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी ने स्मृति इरानी को यहां से टिकट दिया है। स्मृति ने 2014 में भी इसी सीट से राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें मात भी मिली थी लेकिन उसके बाद से वह अमेठी में काफी सक्रिय रही हैं। दूसरी ओर राहुल यहां से 3 बार सांसद रह चुके हैं।

राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) नेता अजित सिंह पहली बार मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। यह सीट जाट बाहुल्य सीट है जो कि आरएलडी का वोटबैंक भी है। वहीं बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद संजीव बालियान को टिकट दिया है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद 2014 में हुए चुनाव में ध्रुवीकरण और मोदी लहर में यहां से संजीव बालियान जीत गए थे लेकिन इस बार उनके सामने अजित सिंह के रूप में कड़ी चुनौती होगी। एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ अजित सिंह यहां से जाट, मुस्लिम और दलितों के समीकरण को लेकर अपनी जीत का ताना-बाना बुन रहे हैं।

आरएलडी का गढ़ माने जाने वाली पश्चिमी यूपी की बागपत सीट से पहली बार जयंत चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से उनके पिता अजित सिंह को बीजेपी के सत्यपाल सिंह से 2014 में मात मिली थी। ऐसे में जयंत के सामने इस सीट पर अपने परिवार का खोया हुआ विश्वास लौटाने की चुनौती होगी। बीजेपी ने इस बार भी मौजूदा सांसद सत्यपाल सिंह को ही टिकट दिया है।

यूपी की अमरोहा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां से मौजूदा बीजेपी सांसद कंवरसिंह तंवर को इस बार इस सीट दानिश अली से कड़ी चुनौती मिल सकती है। दानिश हाल ही में बीएसपी में शामिल हुए हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से राशिद अल्वी को टिकट दिया है। अमरोहा में 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा यहां दलित, सैनी और जाट समुदाय के लोग भी हैं।

उत्तर प्रदेश के यादव परिवार का झगड़ा इस बार लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर और ज्यादा साफ नजर आएगा। फिरोजाबाद से इस बार एसपी संरक्षक मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ एसपी ने राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को मैदान में उतारा है। पुराने वोटरों और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच पैठ रखने वाले शिवपाल अपने भतीजे को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे।

बदाऊं सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है और यहां से पिछले 6 चुनाव में पार्टी का सांसद चुना गया है। हालांकि इस बार मुलायम सिंह यादव के भतीजे और मौजूदा सांसद धर्मेंद्र यादव के लिए यहां से जीतना इतना आसान नहीं होगा। उनके खिलाफ बीजेपी ने सवर्णों और गैर-यादव वोटरों को लुभाने के लिए यूपी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व एसपी नेता और इस सीट से चार बार सांसद रह चुके सलीम शेरवानी को टिकट दिया है।

इस बार लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। यहां केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ सीपीआई ने जेएनयू के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को टिकट दिया है। यह सीट सीपीआई का मजबूत गढ़ मानी जाती है और कन्हैया को महागठबंधन का समर्थन भी मिल सकता है।

जमुई सीट से मौजूदा सांसद चिराग पासवान को इस बार आरएलएसपी के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी से इस सीट से कड़ी टक्कर मिलेगी। भूदेव इस सीट से 2009 में जेडी (यू) के टिकट से जीत चुके हैं। इस बार वह यहां से दलितों और ओबीसी वोट बैंक के समीकरण को मजबूत करने के प्रयास में हैं तो वहीं पासवान दलितों और सवर्ण दोनों वोटरों पर नजर बनाए हुए हैं।

बीजेपी ने एनडीए गठबंधन के तहत अपनी इस सीट को जेडी (यू) के खाते में दिया है और इस वजह से यहां से मौजूदा सांसद हरि मांझी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस सीट से महागठबंधन के प्रत्याशी और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के सामने जेडी (यू) से विजय मांझी होंगे। पिछले चुनाव में इस सीट पर जेडी (यू) के टिकट से चुनाव लड़ने के बाद जीतनराम तीसरे नंबर पर आए थे। इस बार मांझी अपनी पार्टी (HAM) से चुनाव लड़ रहे हैं और मजबूत दावेदार हैं।

पूर्णिया उन दो सीटों में से एक है जहां से 2014 में जेडी (यू) ने मोदी लहर के बावजूद जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार समीकरण बदले हुए हैं। 2014 में इस सीट से बीएसपी के टिकट से लड़ने वाले उदय सिंह इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। उदय इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

उत्तराखंड की गढ़वाल सीट में इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए बीजेपी सांसद और पूर्व सीएम बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी को पार्टी ने यहां से उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने बीजेपी ने खंडूरी के शिष्य माने जाने वाले तीरथ सिंह रावत को उतारा है। बीसी खंडूरी इस सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं और इस बार उनके बेटे इस सीट से लड़ाई को नया आयाम दे रहे हैं। दोनों ही उम्मीदवारों का दावा है कि उन्हें बीसी खंडूरी का आशीर्वाद मिला हुआ है।

बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में नैनीताल की 14 में से 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस लिहाज से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के लिए यहां से लड़ाई उतनी कठिन नहीं है लेकिन कांग्रेस के यहां से हरीश रावत को टिकट देने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हरीश रावत राजपूत वोटरों पर मजबूत पकड़ रखते हैं। इस सीट से मौजूदा सांसद बीएस कोश्यारी को टिकट न देने से बीजेपी से नाराज भी हैं।

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