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एनकाउंटर के बाद भी ऑनलाइन है श्रीप्रकाश शुक्ला

एनकाउंटर के बाद भी ऑनलाइन है श्रीप्रकाश शुक्ला

लखनऊः नब्बे के दशक में पूर्वांचल से लेकर दिल्ली तक जरायम की दुनिया में अपने नाम का सिक्का चलाने वाले हार्डकोर क्रिमिनल श्रीप्रकाश शुक्ला की पहचान किसी से छिपी नहीं हैं। यूपी पुलिस के सहयोग से स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने उसका एनकाउंटर कर अपनी पीठ थपथपाई थी। ऑपरेशन क्लीन अभियान के तहत बेशक उसका हाल भी दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे की तरह हुआ है। जिसमें पुलिस, क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने यूपी के अपराधियों को एक-एक करने एनकाउंटर में ढ़ेर कर दिया। लेकिन पुराने हिस्ट्रीशीटर श्रीप्रकाश शुक्ला की क्राइम हिस्ट्री को उकेरे, तो ऐसे कई किस्से हैं जिनको आज सुनकर लोग सिहर उठते हैं। उधर सोशल मीडिया पर बेखौफ यूर्जस श्रीप्रकाश शुक्ला के अकांउट बनाकर उसे जिंदा रखे हुए हैं। जो पुलिस और साइबर सेल यूनिट के संज्ञान से कोसों दूर हैं।

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प्रोफाइल में माफिया का स्टाइल

दरअसल, राजधानी लखनऊ समेत गोरखपुर, बस्ती, गाजियाबाद, गोंडा के यूजर्स पर हिस्ट्रीशीटर श्रीप्रकाश शुक्ला की खुमारी इस कदर छाई हुई है। यूजर्स ने माफिया को अपना आर्दश मानकर श्रीप्रकाश शुक्ला का फेसबुक अकाउंट बना डाला। इसके अलावा यूजर्स ने माफिया की फोटो के साथ अवैध असलहों की फोटो लगा डाली है। यह बात नहीं बता रहे आपको बल्कि यह कड़ाई सच्चाई फेसबुक पर मौजूद है। यदि आप फेसबुक सर्च पर श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम डाले तो आपके सामने लाइन से दर्जनों माफिया की फोटो लगी प्रोफाइल दिखाई देने लगेगी। हालांकि, बेखौफ यूजर्स फेसबुक पर श्रीप्रकाश शुक्ला की स्टाइल को प्रमोट कर रहे हैं।

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कम उम्र में पहला मर्डर

श्रीप्रकाश शुक्ला की बायोग्राफी के आधार पर पता चला कि, गोरखपुर जनपद के मामखोर गांव का रहने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला को पहवानी का शौक था। उसने पहलवानी की दम पर अखाड़े में अच्छा नाम कमाया था। इसी बीच गांव के एक युवक ने उसकी बहन से छेड़खानी कर दी थी। इस बेइज्जती का बदला लेने के लिए महज बीस साल की उम्र में श्रीप्रकाश शुक्ला ने उस युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद वह बैंकॉक  भाग गया। बताते चलें कि जब वापस लौटा तो वह जरायम की दुनिया का बादशाह बन गया था। इसके बाद श्रीप्रकाश शुक्ला ने पूर्व विधायक लक्ष्मीपुर, वीरेंद्र शाही की गोली मार कर हत्या कर दी।  इसके बाद श्रीप्रकाश शुक्ला नाम सुर्खियों में आने लगा। इसके बाद श्रीप्रकाश ने बिहार के बाहुबली मंत्री हत्या कर दी। फिर यूपी के सीएम की सुपारी ले ली। इसके बाद 04 मई 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा पकड़ने के लिए एसटीएफ का गठन किया गया। साथ ही देश में पहला सर्विलांस सिस्टम आया लागू किया गया था। इसी कड़ी में 23 सितम्बर को एसटीएफ ने गाजियाबाद बार्डर पर एनकांउटर में श्रीप्रकाश शुक्ला को मार गिराया।

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जरा इनकी भी सुनें

इस मामले को लेकर भारत खबर ने साइबर सेल यूनिट के एसीपी विवेक रंजन से बातचीत की तो उन्होने बताया कि अपराधियों के अकाउंट बना भी एक तरह का अपराध है। फिलहाल पुलिस को तहरीर नहीं मिलती है तो तब-तक पुलिस एक्शन नहीं ले सकती है। या फिर इन अकांउट से वाइलेंस हो रहा है, तो फौरन एक्शन लिया जाता है। इसके अलावा आरोपित की फौरन गिरफ्तारी होती है। तो वहीं मनोचिकित्सक खुशअदा जैदी बताती है कि खासतौर पर कमजोर किस्म के बच्चे खुंखार अपराधियों को अपना आदर्श मान लेते हैं। अपराधियों के स्टाइल को प्रमोट कर उनसे प्रेरणा लेने लगते हैं।

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