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यूं ही नहीं झलका था शिवराज का दर्द, मंत्रियों की लिस्ट से हुआ खुलासा

shivraj singh यूं ही नहीं झलका था शिवराज का दर्द, मंत्रियों की लिस्ट से हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब 100 दिनों की सरकार चलाने के बाद कैबिनेट का विस्तार किया है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब 100 दिनों की सरकार चलाने के बाद कैबिनेट का विस्तार किया है। गुरुवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 मंत्रियों को पद एंव गोपनीयता की शपथ दिलाई। इन 28 मंत्रियों की लिस्ट में एक बात गौर करने वाली यह है कि इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास लोगों को मदद जगह नहीं मिली है। इस लिस्ट में ज्यादातर कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा दिख रहा है। 28 मंत्रियों की सूची में केवल चार चेहरे ऐसे हैं जिन्हें शिवराज सिंह चौहान का करीबी माना जाता है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के 11 समर्थकों को कैबिनेट में जगह मिली है।

मध्य प्रदेश कैबिनेट के 28 मंत्रियों की सूची में भूपेंद्र सिंह, जगदीष देवड़ा, विश्वास सारंग और विजय शाह केवल ऐसे चेहरे हैं जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खेमे से हैं।

कैबिनेट में सिंधिया के 11 समर्थक

मंत्रियों की लिस्ट में सिंधिया के समर्थक 11 लोगों को कैबिनेट में जगह दी गई है। इसमें से इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह, बृजेंद्र सिंह यादव, ओपीएस भदौरिया, गिर्राज दंडोतिया, सुरेश धाकड़ शामिल हैं। वहीं तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले से कैबिनेट में शामिल हैं।

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इसलिए सीएम ने विष पीने की कही थी बात

सीएम शिवराज ने बुधवार को कहा था कि समुद्र मंथन से जो विष निकलता है उसे भगवान शंकर पी जाते हैं और अमृत सभी में बंटता है। उनके इस बयान से जाहिर हो गया था कि कैबिनेट लिस्ट में उनके लोगों को जगह नहीं मिल पाई है। यानी कैबिनेट चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज की नहीं चली है। उन्होंने ज्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया और गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के लोगों को कैबिनेट में जगह दी है।

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ट्विटर पर भी शिवराज ने बयां किया था दर्द

एक दिन पहले सीएम शिवराज ने ट्वीट कर अपना दर्द बयां किया था। सीएम शिवराज ने ट्वीट में कहा था, ‘आये थे आप हमदर्द बनकर, रह गये केवल राहज़न बनकर। पल-पल राहज़नी की इस कदर आपने, कि आपकी यादें रह गईं दिलों में जख्म बनकर।’ राजनीति के जानकार मानते हैं कि यह ट्वीट शिवराज सिंह चौहान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए किया है। सीएम कहना चाह रहे हैं कि आप हमदर्द बनकर आए यानी कांग्रेस की सरकार गिराकर बीजेपी में आए। उसके बाद आप मंत्रिमंडल में अपने लोगों की हिस्सेदारी को लेकर इतना तोलमोल कर रहे हैं कि यह जख्म बन चुका है। हालांकि ये सब अटकलें हैं, जब तक सीएम खुलकर कुछ नहीं कहते तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं है।

मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया को खुश करना रही प्राथमिकता

ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरी है और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे में स्वभाविक है कि सिंधिया मंत्रिमंडल में अपने समर्थकों को जगह दिलाई है। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर 16 पूर्व विधायक और 6 पूर्व मंत्री बीजेपी में आए हैं। जो छह लोग कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे उन्हें तो शिवराज सरकार में भी ओहदा मिला है।

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शिवराज सिंह चौहान के खास माने जाने वाले रामपाल सिंह को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। इसपर रामपाल ने कहा कि मैं जब पहली बार मंत्री बना तो केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, पीएचई मंत्री होने के नाते भोपाल में नलका जल लाया था। एक साल बाद ही तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के आदेश पर मंत्री पद छोड़कर लोकसभा का चुनाव लड़ा। फिर तब की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विदिषा से चुनाव लड़ने आईं, मैंने तुरंत वो सीट छोड़ दी। फिर मैं उदयपुरा से चार बार विधायक रहा, फिर पार्टी के कहने पर मैं सिलवानी से लड़ा। फिर पार्टी ने कहा कि आप होशंगाबाद लोकसभा से लड़िये, मैं वहां चला गया। अभी भी जो पार्टी आज्ञा देंगे हम उसका पालन करेंगे।

उन्होंने कहा कि सिंधिया के आने से हमारी सरकार बनी है। इसलिए हमारी ड्यूटी है कि हम उन्हें सम्मानित करें, उनके लोगों को जीत दिलाएं। हम लोग अनुशासित कार्यकर्ता हैं, पार्टी की बात पर किंतु-परंतु नहीं करते। गौरी शंकर बिसेन ने कहा कि कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं की विधायकी गई है। इसी वजह से हमारी सरकार बनी है। ऐसे में उनको मंत्री बनाना जरूरी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी में हैं, इसलिए पार्टी का निर्णय हमें स्वीकार करना होगा। नेता से पार्टी बड़ी होती है।

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