मंगल ग्रह को लेकर वैज्ञानिक हो या कोई आम इंसान सभी की उत्सुकता बढ़ी रहती है। यही कारण है कि, मंगल ग्रह के रहस्यों को जानने के लिए कई देश अपने सेटेलाइट भेज रहे हैं। और जीवन की तलाश कर रहे हैं। इस बीच मंगल ग्रह से एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है। जिसमें सामने आया है कि, मंगल ग्रह में मौजूद रेत के टीले खिसक रह हैं। इस जानकारी ने सबकों चौका दिया है। क्योंकि अभी तक सिर्फ यही समझ जाता था कि, मंगल ग्रह पर हवा नहीं चलती है। लेकिम जिस तरह से ये रेत के टीले खिसक रहे हैं। उसे देखकर लग रहा है कि, ये हवा के बहाव की वजह से खिसक रहे हैं।
नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रहों की तस्वीरों का विस्तृत अध्ययन किया तो उन्हें पाया कि वहां रेत के टीले खिसक रहे हैं। इस अध्ययन के नतीजों ने वैज्ञानिकों को अपनी कई धारणाएं बदलने पर मजबूर कर दिया।नासा के मार्स रिकोनायसेंस ऑर्बिटर ने हाल ही में मंगल ग्रह पर रेत के टीलों की तस्वीर खींची है। इन तस्वीरों से प्लैनटरी साइंस्टिट की एक टीम ने दर्शाया है कि इन रेत के टीलों की कुछ संरचनाएं खिसक रही हैं यानि अपनी जगह छोड़ रही हैं।
टीम ने इन दो इलाकों की तस्वीरों का अध्ययन किया और पाया कि मक्लॉगलिन क्रेटर में इस तरह के करीब 1100 मेगारिपल्स मौजूद हैं। यह क्रेटर करीब 4 अरब साल पहले बना था जो 92 किलोमीटर चौड़ा है। इन तस्वीरों में 7.6 साल का अंतर था. इनके अलावा निलि फोसाए इलाके में क इस तरह की सरकती हुई रेत के 300 ढेर देखे गए हैं जो मंगल के रहस्मयी इलाकों में से एक है. इनकी तस्वीरों में 9.4 साल का फर्क था।
इस खोज से कई शोधकर्ता हैरान हैं, स्मिथसनियन इंस्टीट्यूट के एयर एंड स्पेस म्यूजियम के प्लैनेटरी जियॉजिस्ट जिम जिमबेलमैन ने साइंस को बताया कि दशकों से इस बात के कोई प्रमाण नहीं थे। जिससे यह पता चलता कि मंगल ग्रह की मिट्टी में गतिविधि होती है. किसी ने नहीं सोचा था कि वहां हवा इतनी तेज होगी।
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आपको जानकर हैरानी होगी कि, धरती पर भी इस तरह से रेत के टीले मौजूद हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि, मंगल ग्रह पर पृथ्वी से ज्यादा हवा चलती है। जिसकी वजह से लगातार ये रेत के टीले खिसकते जा रहे हैं।