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शताब्‍दी एक्‍सप्रेस केस: 28 साल बाद आया फैसला, सांसद-विधायक सहित आठ आरोपित बरी

शताब्‍दी एक्‍सप्रेस केस: 28 साल बाद आया फैसला, सांसद-विधायक सहित आठ आरोपित बरी

आगरा: उत्‍तर प्रदेश के आगरा रेलवे स्‍टेशन के एक मामले में 28 साल बाद अदालत का फैसला आया है। यह मामला वर्ष 1993 में कैंट रेलवे स्‍टेशन पर शताब्‍दी एक्‍सप्रेस रोके जाने का है।

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शनिवार को सांसद राजकुमार, विधायक योगेंद्र उपाध्‍याय सहित अन्‍य आरोपित कोर्ट में हाजिर हुए। इन सभी पर तत्‍कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री माधव राव सिंधिया के विरोध में शताब्‍दी एक्‍सप्रेस रोके जाने का आरोप था।

कैंट रेलवे स्‍टेश पर भाजपाइयों ने किया था विरोध

दरअसल, जनवरी 1993 में तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन मंत्री माधव राव सिंधिया ग्वालियर से दिल्ली जा रहे थे। इस दौरान आगरा कैंट स्टेशन पर भाजपाइयों ने उनका विरोध करते हुए शताब्‍दी एक्‍सप्रेस को घेरकर रोक दिया था। इस मामले में जीआरपी कैंट थाने में बलवा व रेलवे एक्ट आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में वर्तमान भाजपा सांसद राजकुमार चाहर, विधायक योगेंद्र उपाध्याय, पूर्व विधायक डॉ. रामबाबू हरित, एडवोकेट दुर्ग विजय सिंह, सुशील शर्मा सहित कई लोगों को नामजद किया गया था।

स्‍पेशल एमपी-एमएलए अदालत में सुनवाई

इस मामले को लेकर जीआरपी कैंट थाने में बलवा, जानलेवा हमला, चोरी, रेलवे अधिनियम के तहत दो अलग-अलग केस दर्ज हुए थे। एक मुकदमा उप स्टेशन अधीक्षक किरन सिंह प्रताप और दूसरा थाना प्रभारी जीआरपी कैंट बिजेंद्र सिंह ने लिखवाया था। यह नहीं, विवेचना के दौरान माधव राव के PRO अमर सिंह ने भी अपनी तहरीर दी थी, जिसे विवेचक ने इसी मामले में शामिल करते हुए विवेचना की। इसके बाद सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किए थे। इसकी सुनवाई स्‍पेशल एमपी-एमएलए अदालत में चल रही थी।

सभी आरोपित अदालत में हुए पेश  

अब 28 साल बाद शनिवार को मामले  का फैसला आ गया। आज अदालत में सुनवाई के मद्देनजर सांसद और विधायक समेत अन्य सभी आरोपित कोर्ट में हाजिर हुए। सभी की मौजूदगी में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए उमाकांत जिंदल ने संदेह का लाभ देते हुए सभी को बरी कर दिया। कोर्ट का फैसला आने के बाद भाजपा कार्यकर्ता खुश हो गए।

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