नई दिल्ली। पानी की समस्या आज के समय में काफी व्यापक समस्या बन चुकी है। जिसका असर मुख्य रुप से राजस्थान में देखने को मिल रहा है।आम दिनों में ही पानी के संकट से जूझने वाले पश्चिमी राजस्थान के करीब दस जिलों में पानी की किल्लत ने लोगों की परेशानी बढ़ादी है। ये राजस्थान का वो इलाका है, जहां पीने के पानी के लिए बड़ी संख्या में आबादी जलदाय विभाग पर कम और नहर पर ज्यादा आश्रित है।
पानी की मारामारी का दौर
ऐसे में इलाके में गर्मी की शुरुआत ही बड़ा झटका देने वाली रही है क्योंकि सरकार ने इन दिनों यहां नहरबंदी लागू कर रखी है। यही नहीं नहरबंदी के बाद भी एक बड़े इलाके में पानी पहुंचने में 15 दिन तक का समय लग जाता है। ऐसे में इस इलाके में पानी की मारामारी का दौर लंबा होना तय है। हरियाणा से राजस्थान में प्रवेश करने वाली इंदिरा गांधी मुख्य नहर की लाइनिंग सही करने के लिए 29 मार्च से 2 मई तक के लिए नहरबंदी लागू हुई थी।
नहर की लाइनिंग का काम 30 मार्च से शुरू होना था, लेकिन हरियाणा के किसानों के विरोध के चलते वो काम 8 अप्रैल से शुरू हुआ है। पश्चिमी राजस्थान के 10 जिले- हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, नागौर, जैसलमेर और बाड़मेर सहित कई अन्य जिलों के काफी इलाके पीने के पानी के लिए इंदिरा गांधी नहर पर आश्रित हैं। वहीं, आठ जिलों का 16 लाख हेक्टेयर एरिया भी सिंचाई के लिए इसी नहर पर आश्रित है।
बता दे कि नहर विभाग ने नहरबंदी का समय 10 दिन और आगे बढ़ा दिया है नहर से पीने का पानी आने में तय समय से ज़्यादा का वक्त लगेगा और उन्हें घरों में पानी की सप्लाई में और कमी करनी पड़ेगी। दूसरी ओर जलदाय विभाग ने भी पानी की कमी को देखते हुए बीकानेर ने ओड-इवन जैसा सिस्टम लागू कर दिया है। अब नहरबंदी के और आगे बढ़ने से जलदाय विभाग की नींद उड़ गयी है। नहर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पीएचईडी वाले क्लोजिंग के समय पानी का उपयोग ध्यान से करे ताकि आखिरी दिन तक लोगों को पानी मिल सके।