शिवनंदन सिंह संवाददाता
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के कुछ दिन ही शेष बचे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि 15-16 सितंबर को होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की यह बैठक इस बार कई मायनों में खास होने वाली है। आपको बताते चले कि यह बैठक ऐसे वक्त पर होने जा रही है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद हालात काफी बदले हुए हैं। ऐसे में 15-16 सितंबर को SCO के शिखर सम्मेलन में पहली बार रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात होनी हैं ।
वहीं दो साल बाद पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग चीन देश से बाहर निकलेंगे। जबिक पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी पहली बार पीएम मोदी के साथ मंच पर एक साथ नजर आएंगे । चीन और पाकिस्तान इन दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते ठीक नहीं हैं और ऐसे में माना ये जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी की इन देशों के नेताओं से वन टू वन मुलाकात हो सकती है। वैसे तो रूसी राष्ट्रपति के साथ पीएम मोदी की मीटिंग तय है वहीं चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मुलाकात की अधिक संभावना है। पहले कोरोना और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध में भी पीएम मोदी ने दिखा दिया कि वो किसी के दबाव में नहीं आने वाले।
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ऐसे एक बात तो साफ हो गई हैं कि भारत ने यह दिखा दिया है कि उसकी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं है और न ही कथनी और करनी में कोई फर्क। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यह देखने को मिला कि कैसे भारत किसी के दबाव में नहीं आया। अमेरिका की पूरी कोशिश थी कि वो रूस के खिलाफ चला जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का मुद्दा हो या कोई दूसरा सभी मंचों से एक ही बात कही। पैमाना अलग- अलग नहीं हो सकता।
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आतंकवाद पर कई देशों के रुख पर भी पीएम मोदी ने निशाना साधा था। वर्तमान समय में तटस्थ नीति ही भारत के विदेश नीति की ताकत है। चीन हो या पाकिस्तान इन दोनों देशों को भी भारत ने समझा दिया कि दो चीजें एक साथ नहीं चल सकती। पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर यही बात और चीन को बॉर्डर के मुद्दे पर यह समझा दिया। पूरी दुनिया ने इसका अब लोहा भी मान लिया है। SCO के मंच पर भी भारत की धाक देखने को मिलेगी।
कूटनीति के लिहाज से चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग और पीएम मोदी की वन टू वन मुलाकात काफी अहम हो सकती है। हालांकि इस मुलाकात को लेकर अभी कुछ क्लियर नहीं है। लेकिन संभावना ऐसी है कि मुलाकात हो सकती है। यदि वन टू वन मुलाकात होती है तो पीएम मोदी कहीं अधिक कॉन्फिडेंट होंगे। दोनों देशों के बीच गलवान की घटना के बाद रिश्ते बेहद खराब हो गए हैं। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पिछले दो साल में पहली बार देश से बाहर कजाकिस्तान और फिर उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन SCO के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
आखिरी बार चीनी राष्ट्रपति ने 17-18 जनवरी, 2020 को म्यांमार का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद कोरोना के चलते हालात बदल गए। उस वक्त से चीनी राष्ट्रपति चीन से बाहर नहीं गए हैं। एससीओ बैठक से पहले ही भारत और चीन की सेनाओं ने गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स के पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच पिछले दो साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ था। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति की वन टू वन मुलाकात होती है तो इस पर सिर्फ इन दो देशों की ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की नजर होगी।