नई दिल्ली। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बढ़ते आक्रामक रुख और युद्ध के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खतरों के मद्देनजर एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा 6 अगस्त को खत्म कर दिए जाने के बाद सीमापार से युद्ध की अप्रत्यक्ष धमकियां मिलती रही हैं। अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है।सेना की उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने शनिवार को एलओसी पर पाकिस्तान से सैन्य हमले के खतरे के मद्देनजर सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की।
इससे पहले, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने नियंत्रण रेखा पर भारत की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए घाटी का दौरा किया था।सेना ने खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया कि सितंबर के पहले सप्ताह में, पाकिस्तान ने अपने इलाके में एलओसी से 30 किलोमीटर दूर एक ब्रिगेड-साइज फौज को भेजा था। पाकिस्तान में पीओके के सामने बाग और कोटली सेक्टर में लगभग 2,000 जवानों को तैनात किया गया है।पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन को भी बढ़ाया है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू एवं कश्मीर के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर भारत के खिलाफ आक्रामक रुख रखा है। पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी बयानबाजी में भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की पूरी कोशिश कर रहा है। 6 अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसले के एक दिन बाद, इमरान खान ने पाकिस्तान संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भारत के साथ युद्ध होने की संभावना जताई थी।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा था, “पुलवामा जैसे हमले फिर से हो सकते हैं। मैं पहले से ही यह अनुमान लगा सकता हूं कि वे ऐसा करेंगे। वे फिर से हम पर आरोप लगाने की कोशिश करेंगे। वे हम पर फिर से हमला कर सकते हैं और हम इसका पलटकर जवाब देंगे, तब क्या होगा? उस युद्ध में कौन जीतेगा? उन्होंने कहा, “कोई भी इसे नहीं जीतेगा और पूरी दुनिया के लिए इसके दुखद परिणाम होंगे। यह न्यूक्लियर ब्लैकमेल नहीं है।
इमरान ने शनिवार को अल जजीरा चैनल को दिए एक साक्षात्कार में भारत के साथ संभावित परमाणु युद्ध की गीदड़ भभकी फिर दोहराई। उन्होंेने कहा, “पाकिस्तान कभी भी परमाणु युद्ध शुरू नहीं करेगा। मैं शांतिवादी हूं, मैं युद्ध विरोधी हूं। मेरा मानना है कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं होता..जब दो परमाणु सशस्त्र देश एक पारंपरिक युद्ध लड़ते हैं, तो इसकी परिणीति परमाणु युद्ध में होने की पूरी संभावना है। जो अकल्पनीय होगा। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, जो उस समय पूर्वी एशिया के दो-देशों के दौरे पर थे, उन्होंने भी जोरदार पलटवार किया, जिससे पाकिस्तान द्वारा किसी भी सैन्य दुरुपयोग के बारे में भारत का रुख स्पष्ट हो गया।
सिंह ने दक्षिण कोरिया में कहा था, “भारत अपने इतिहास में कभी भी आक्रमण करने वाला नहीं रहा है और न ही कभी होगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भारत अपनी रक्षा के लिए अपनी ताकत का इस्तेमाल नहीं करेगा।पाकिस्तान कश्मीर घाटी पर भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए दोहरी चाल चलता रहा है। साथ ही वह एलओसी पार कर भारतीय सीमा में घुसने के लिए घुसपैठियों को मदद देता रहा है।