लखनऊ। यूपी के बांदा जनपद के एक एसडीएम का अजीबो-गरीब फरमान इन दिनों काफी सुर्खिंयों में हैं। एसडीएम सौरभ शुक्ला की मानें तो मंदिरों और मठ की जमीन पर फसल को बेचने वाले अन्नदाताओं को फसल की ब्रिकी के लिए भगवान का आधारकार्ड दिखना होगा। बगैर आधार कार्ड के अन्नदाता फसल बेच नहीं सकते। एसडीएम का हैरान कर देने वाला यह फरमान चर्चा का विषय बन चुका है। फिलहाल अन्नदाता इस बात से भी काफी परेशान है कि आखिर फसल बेचने के लिए भगवान का आधार कार्ड कहां से लाएं ।
दरअसल, एसडीएम के फरमान को सुनकर मीडिया भी हैरत में पड़ गई। इस बारे में मीडिया ने उसने सवाल-जवाब किए तो एसडीएम साहब ने बताया कि यह नियम उन्होने ही लागू किया है। मीडिया ने जब उसने विस्तार में जानना चाहा तो वह सवालों से बचते दिखे। एक रिपार्ट के मुताबिक, एसडीएम ने कहा था कि इंसान हो, या फिर भगवान फसल बेचने के लिए आधार कार्ड तो दिखाना ही पड़ेगा। बगैर आधार कार्ड के फसल का सौदा नहीं हो सकता। एसडीएम साहब ने यह तक कह डाला था कि फसल की देखभाल करने वाले अन्नदाताओं का आधार कार्ड नहीं चाहिए। बल्कि जमीन जिसके नाम है, उसके आधार कार्ड को दिखाकर अन्नदाता फसल बेच सकते हैं।
आपको बताते चलें यह पूरा मामला बादां जनपद के अतर्रा तहसील के खुरहड गांव है। गांव में लगभग आठ मंदिर है, जिनकी देखभाल सांधु-संत करते है । इसके अलावा मंदिर की जमीन पर उगने वाली फसल की जिम्मेदारी सांधुओं पर है। जबकि आस्था के नाम पर मंदिर की जमीन दान दी गई है। तो फसल बेचने के लिए प्रशासिनक अमला जमीन के मालिक का आधार कार्ड मांग रहा है । जिसकी वजह से अन्नदाता परेशान है। ऐसे में एसडीएम भी अपनी बात पर अड़े है। अगर अन्नदाताओं को अपनी फसल बेचनी है, तो जमीन मालिक का आधार कार्ड दिखाना ही होगा। हालांकि, यह सोचने वाली बात है अगर जमीन मंदिर के नाम है तो अन्नदाता प्रशासनिक अमले को कौन से भगवान का आधार कार्ड दिखाए और वह आधार कार्ड कहां से लगाए।