शक्तिशाली सौर तूफान 1609344 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है। यह सौर तूफान किसी भी समय पृथ्वी से टकरा सकता है।
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वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस तूफान के कारण सैटेलाइट सिग्नलों में बाधा आ सकती है, जिससे विमानों की उड़ान, रेडियो सिग्नल, कम्यूनिकेशन और मौसम पर इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है।
सूरज से उठा यह तूफान करीब 16 लाख प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा है। शक्तिशाली सौर तूफान तेज गति से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इसके कारण सैटेलाइट सिग्नल बाधित हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके साथ ही विमानों की उड़ान, रेडियो के सिग्नल और मौसम पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ये सौर तूफान सूर्य के वायुमंडल में पैदा हुआ है, इसके कारण चुंबकीय क्षेत्र के प्रभुत्व वाला अंतरिक्ष का एक क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित हो सकता है। वहीं जो लोग उत्तरी या दक्षिणी अक्षांशों पर रहते हैं, उन्हें रात के वक्त खूबसूरत ऑरोरा दिखाई दे सकता है।
ऑरोरा ध्रुव के पास रात के समय आसमान में चमकने वाली रोशनी को कहते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने तूफान की रफ्तार 1609344 किलोमीटर प्रति घंटा बताई है। एजेंसी का कहना है कि इसकी गति और ज्यादा भी हो सकती है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अंतरिक्ष में महातूफान आ जाए, तो उससे धरती के लगभग सभी शहरों की बिजली जा सकती है।
धरती पर होगा इसका असर?
इस सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गर्म हो सकता है, जो सीधा सैटेलाइट्स को प्रभावित करेगा। इसका असर फोन के सिग्नल, सैटेलाइट वाले टीवी और जीपीएस नैविगेशन पर होगा, जिससे इनमें रुकावट आ सकती है। वहीं पावर लाइन में करंट आने का भी खतरा बना रहता है, जो ट्रांसफॉर्मर को उड़ा सकता है। हालांकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, इसलिए ऐसा होने का आशंका ना के बराबर ही रहती है।
पहले भी आ चुका है सौर तूफान
सौर तूफान पहली बार नहीं आ रहा है, इससे पहले साल 1989 में भी यही घटना हुई थी। उस समय तूफान के कारण कनाडा के क्यूबेक शहर की बिजली करीब 12 घंटे के लिए चली गई थी। जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इससे भी कई साल पहले 1859 में जियोमैग्नेटिक तूफान आया था।