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राफेल पर अपना फैसला वापस ले सुप्रीम कोर्ट- कांग्रेस

राफेल पर अपना फैसला वापस ले सुप्रीम कोर्ट- कांग्रेस

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट के पैसले को लेकर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस ने सरकार की ओर से अदालत के निर्णय में तथ्यात्मक सुधार करने वाली याचिका का जिक्र करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय को अपना फैसला वापस लेना चाहिए और झूठे सबूत रखने के लिए सरकार को न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी करना चाहिए।

 

राफेल पर अपना फैसला वापस ले सुप्रीम कोर्ट- कांग्रेस
राज्यसभा में विपक्ष के नेता-आनंद शर्मा

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राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि सु्प्रीम कोर्ट का राफेल पर जो फैसला आया है वो चर्चा का विषय है। हमने पहले भी यह कहा था कि इस मामले में जांच सिर्फ संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह किया है। जिसके आधार पर यह निर्णय आया है। शर्मा ने कहा कि सरकार ने पहले बताया कि प्राइस की डीटेल कैग को दी जा चुकी है। CAG ने उसकी जांच कर उसे लोक लेखा समिति को दे दिया। PAC ने भी अपनी संपादित रिपोर्ट संसद को दी है। न तो PAC की रिपोर्ट आई, न ही वो PAC के पास गई।

शर्मा ने कहा कि सरकार ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन में कहा है कि अदलात ने अपने जजमेंट में शब्दों को समझा नहीं और ‘is’ की जगह ‘has been’ हो गया है। शर्मा ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने की बजाय जजों की अंग्रेजी और व्याकरण संबंधी जानकारी पर सवाल उठाया है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अपना आर्डर वापस लेना चाहिए और सरकार को गलत तथ्य रखने के लिए न्यायालय की अवमानना का भी नोटिस देना चाहिए।

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आनंद शर्मा ने कहा कि संविधान के हिसाब से देश की सबसे बड़ी संस्था भारत की संसद है। सरकार ने CAG और PAC की जिक्र कर संसद की भी अवमानना की है। जिसकी कार्रवाई संसद में होगी। उन्होंने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने गलत नहीं किया तो संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सामने क्यों नहीं आते? इस मामले में डिफेंस सेक्रेटरी, डिफेंस मिनिस्टर, वायुसेना प्रमुख समेत सभी पक्षों को बुलाने का अधिकार सिर्फ JPC को है।

जांच से दूर भागना और अदालत को गुमराह कर गलत फैसला लेना और उस पर खुशी मनाना पिछले दो दिन से यही हो रहा है। बीजेपी ने कहा है कि वो 70 प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उन्हें कुंभ में जाकर माफी मांगनी चाहिए। अगर वो 700 प्रेस कॉन्फ्रेंस करें तब भी झूठ पर पर्दा नहीं डाला जा सकता।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए राफेल विमान सौदे की अदालत की निगरानी में जांच संबंधी सभी जनहित याचिकाओं को रद्द कर दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश के पैरा नंबर 25 को लेकर विवाद खड़ा हो गया दरअसल इस पैरा में कहा गया था कि राफेल की प्राइसिंग डिटेल CAG को दी गई है, जिसकी रिपोर्ट CAG ने PAC को दी और उसका एक संपादित हिस्सा संसद के समझ और पब्लिक डोमेन में है।सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी ने केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्योंकि इस तरह की कोई रिपोर्ट PAC के सामने आई ही नहीं है।

महेश कुमार यादव

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