कोरोना में कोरोना के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाली तबलीगी जमात का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में केन्द्र सरकार पर सवाल उठाते हुए फटकार लगा दी है।
आपको बता दें, मीडिया की गलत रिपोर्टिंग पर सवाल उठाने वाली जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार तब तक हरकत में नहीं आती जब तक कि कोर्ट उन्हें निर्देश नहीं देती।सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हमने ये अनुभव किया है कि सरकार एक्ट नहीं करती जब तक कि हम निर्देश जारी नहीं करते। अदालत ने ये टिप्पणी तक कि जब याचिकाकर्ता के वकील दुश्यंत दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि मरकज मामले में मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की थी और ऐसे में सिर्फ सरकार चाहे तो एक्शन ले सकती है। मीडिया में सेल्फ गवर्निंग बॉडी है लेकिन सरकार ही एक्शन ले सकती है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के वकील ने कोर्ट को बताया कि पीसीआई ने मामले में संज्ञान लिया है और गलत रिपोर्टिंग के 50 मामले सामने आए थे और इस मामले में जल्द ही आदेश पारित होगा।
जमीयत की अर्जी पर केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहा था। तब केंद्र सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया था कि सरकार ने गलत खबर को रोकने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन मीडिया को रोकने के लिए आदेश पारित नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ तो अभिव्यक्ति की आजादी खत्म हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।
इस दौरान अपना पक्ष पेश करते हुए केंद्र ने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला दिया और मसले को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी के पास भेजने की सलाह दी। न्यूज़ चैनलों के खिलाफ शिकायतों को देखने वाली इस संस्था के अध्यक्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज एके सीकरी हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि NBSA और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट देखने के बाद आगे सुनवाई होगी। NBSA की और से बताया गया कि उसे करीब 100 शिकायतें मिली हैं और PCI की ओर से बताया गया कि इस संबंध में मिली 50 शिकायतों पर विचार किया जा रहा है. मामले में अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
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आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस ममाले से जुड़ी हुई कई याचिकाओं पर फैसला और सुनवाई कर सकता है।