नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात से जुड़े कानून की समीक्षा करते हुए इस मामले में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है। दरअसल अब तक कानून के मुताबिक 20 हफ्ते से ज्यादा की गर्भवती महिला का गर्भपात नहीं हो सकता है। बता दें कि उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में मुंबई की कथित रेप पीड़ित महिला ने इस कानून को अंसवैधानिक बताते हुए इसे चुनौती दी है और गर्भपात कराने की इजाजत मांगी है।
उच्चतम न्यायालय ने गर्भपात कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक कथित बलात्कार पीड़िता की याचिका पर केंद्र एवं महाराष्ट्र सरकार से गुरुवार को प्रतिक्रिया मांगी। कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में मेडिकल बोर्ड का गठन कर रिपोर्ट मांगेगे। हालांकि याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि संसद में बिल लंबित है जिसमें कहा गया है कि 20 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराया जा सकता है।
ये है मामला:-
24 महीने की गर्भवती महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात कानून को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता महिला ने गर्भपात कराने की मांग की थी। महिला का कहना है कि डॉक्टरों के मुताबिक उसके गर्भ में पल रहा भ्रूण सामान्य नहीं है और उसके मानसिक विकारों के साथ जन्म लेने की आशंका है। लेकिन वर्तमान कानून गर्भपात की अनुमति नहीं देता।