featured धर्म बिहार

भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व सामा चकेवा समाप्त

सामा चकेवा भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व सामा चकेवा समाप्त

सामा चकवा मिथिला का एक प्रसिद्ध लोक पर्व है यह पर्व प्राकृतिक प्रेम, पर्यावरण संरक्षण और भाई बहन के परस्पर स्नेह एवं प्रेम के संबंध का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से आरंभ होकर पूर्णिमा तिथि की रात को समाप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा तिथि की रात को महिलाएं सामा का विसर्जन करती हैं। 

मान्यता के अनुसार इस 7 दिन के पर्व में महिलाएं एवं बहने अपने भाइयों के मंगल की कामना करते हैं। छठ के दिन प्रातः काल का अर्घ देने के बाद महिलाएं मिट्टी लाकर सामा चकेवा की प्रतिमा बनाती है। हालांकि आजकल बाजार में बनी बनाई मूर्तियां उपलब्ध है।

सामा चकेवा के कथा लोक प्रचलित है। कहानी के अनुसार, भगवान कृष्ण की श्यामा (साम) नाम की एक बेटी थी। सामा को जंगल से प्यार था और वहां के पक्षियों और पेड़ों और पौधों के साथ खेलने में आनंद आता था । सुबह वह जंगल में निकल जाता और शाम को घर आ जाता।

इस बात को लेकर किसी ने उसके पिता पर शक किया और उसके पिता ने क्रोधित होकर उसे चिड़िया बनने का श्राप दे दिया।

जब सामा के भाई चाकेबा को इस बात का पता चला तो वह बहुत दुखी हुए और उन्होंने फैसला किया कि वह समा को वापस अपने रूप में लाएंगे। चाकेव ने अपनी बहन को एक लड़की के रूप में पक्षी से वापस लाने के लिए तपस्या करना शुरू कर दिया।

अंत में, चाकेवा की तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान को सामा को उनके मानव रूप में वापस करना पड़ा।

 

Related posts

डर की सत्ता कायम करना चाहती है भाजपा, हम डरने वाले नहीं: नसीमुद्दीन सिद्दीकी

Shailendra Singh

Aaj Ka Panchang: 17 जून 2022 का पंचांग, जानिए आज की तिथि मुहूर्त व शुभ योग का समय

Rahul

यूपी: शुक्रवार से शुरू होगी कुशीनगर और दिल्ली के बीच पहली यात्री हवाई सेवा

Rahul