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हरियाली तीज पर हिंडोले में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं बांके बिहारीजी, ऐसे शुरू हुआ यह उत्सव, जानें इसकी खासियत

krishan हरियाली तीज पर हिंडोले में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं बांके बिहारीजी, ऐसे शुरू हुआ यह उत्सव, जानें इसकी खासियत

 

हरियाली तीज पर्व के अवसर पर 31 जुलाई को हरियाली तीज पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी विश्व में एकलौते स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे।

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शाम 5 से रात 11 बजे तक ठाकुर बांकेबिहारी महाराज स्वर्ण रजत निर्मित हिंडोले में विराजमान होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।हिंडोले को 1 लाख तोले चांदी और 2200 तोले सोने और शीशम की लकड़ी से तैयार किया गया है। बता दें कि 15 अगस्त 1947 को तैयार हुए हिंडोले को बनाने में 20 कारीगरों को 5 साल का समय लगा था।

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भगवान श्रीकृष्ण को सावन का महीना सबसे अधिक प्रिय है और ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में कान्हा अपनी सखी-सहेलियों के साथ झूला झूलते हैं। आज भी वह परंपरा ब्रज के मंदिरों में चली आ रही है, जिसमें ठाकुरजी के श्रीविग्रह को झूला झुलाया जाता है। ब्रज के मंदिरों में ठाकुरजी को झूला झुलाने के इस उत्सव को हिंडोला उत्सव कहा जाता है। हरियाली तीज को वृंदावन स्थित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुरजी गर्भ गृह से बाहर निकलकर स्वर्ण-रजत के भव्य हिंडोले में विराजमान होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। वर्ष में केवल एक बार होने वाले इन मनमोहक झलकियों के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। हरियाली तीज के दिन से ब्रज में शुरू होने वाला हिंडोला उत्सव यहां के सभी मंदिरों में होता हैं। इस दिन ठाकुरजी को हरे रंग की पोशाक धारण कराई जाती है और हरियाली छटा के बीच हिंडोले में विराजमान होकर ठाकुरजी अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

123 2 हरियाली तीज पर हिंडोले में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं बांके बिहारीजी, ऐसे शुरू हुआ यह उत्सव, जानें इसकी खासियत

आजादी के समय बनाया गया था हिंडोला

साल 1947 को तैयार हुए इस हिंडोले में लगभग 25 लाख रुपए की लागत लगी थी। इसी के साथ 31 जुलाई की सुबह से वृंदावन में बाहरी वाहन प्रवेश नहीं कर पाएंगे। हरियाली तीज के पर्व को देखते हुए यातायात व्यवस्था में भी परिवर्तन किया गया है।

हिंडोले में लगा 20 किलो सोना और 1 क्विंटल चांदी

सेठ हर गुलाल के भतीजे राधेश्याम बेरीवाला बताते हैं कि हिंडोले के निर्माण में 5 वर्ष का समय लगा था। हिंडोले के लिए कनकपुर के जंगलों से शीशम की लकड़ी मंगाई गई थी। स्वर्ण-रजत जड़ित हिंडोले का निर्माण बनारस के कारीगर लल्लन व बाबूलाल ने मिलकर पांच वर्षो में किया था। 1942 से हिंडोले के निर्माण का कार्य शुरु हुआ था। बनारस के कारीगर छोटे लाल ने लकड़ी का ढांचा तैयार किया और दो अन्य कारीगरों बाबूलाल एवं लल्लन ने सोने चांदी का काम किया। उन्होंने बताया कि इसके निर्माण में एक लाख तोले चांदी (एक क्विंटल) व दो हजार तोले सोना (20 किग्रा) का इस्तेमाल किया गया। इस तरह का झूला संपूर्ण विश्व में कहीं नहीं है। स्वर्ण हिंडोले के अलग-अलग कुल 130 भाग हैं। स्वर्ण-रजत झूले का मुख्य आकर्षक फूल-पत्तियों के बेल-बूटे, हाथी-मोर आदि बने हुए हैं।

तीज पर दर्शन का समय

हरियाली तीज के दिन सुबह 07 बजकर 45 मिनट से दोपहर -2 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद शाम को -5 बजे से रात्रि 11 बजे तक ठाकुरजी अपने भक्तों को हिंडोले में विराजमान होकर दर्शन देंगे।

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