लखनऊ:कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के बाद उनकी हालत गंभीर होने पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है। ऐसे में बहुत से ऐसे मरीज होते हैं जो एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव आने पर होम आइसोलेशन में रहते हैं और हालत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती होते हैं। लेकिन उनके पास आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट नहीं होती।
इसके बगैर उनको अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जाता और आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है। लेकिन गंभीर मरीज को एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही अस्पताल में भर्ती किया जा सकेगा। इस को लेकर के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं। इसके बाद यह व्यवस्था प्रभावी ढंग से प्रदेश भर में लागू हो जायेगी।
आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट ना होने की वजह से भटकते है मरीज
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या उत्तर प्रदेश में काफी तेजी से बढ़ रही हैं। इसके बाद हालात ऐसे होने लगे कि लोग घरों पर बीमार होने लग रहे हैं ऐसे में बहुत से ऐसे मरीज होते हैं। जिनको सांस की दिक्कत आती है उसके बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। जहां पर अस्पताल के द्वारा मरीज की भर्ती से पहले आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मांगी जाती है। ऐसे में गंभीर मरीजों की जान आरटीपीसीआर रिपोर्ट आने के पहले ही निकल जाती है।
ऐसे में जब गंभीर हालत में मरीज अस्पताल में पहुंचता है। तो उसे आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के लिए कहा जाता है पर रिपोर्ट आने में करीब 2 से 3 दिन का वक्त लग रहा है। ऐसे में गंभीर मरीज को प्राथमिक इलाज भी अस्पतालों में नहीं मिल पा रहा और वे आरटीपीसीआर रिपोर्ट के इंतजार में ही दम तोड़ रहे हैं।
सीएम योगी ने दिया आदेश एंटीजन टेस्ट में आए पॉजिटिव मरीज को भर्ती करें अस्पताल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा टीम 11 की बठक मई अधिकारीयों को निर्देश देते हुए कहा गया की एंटीजन टेस्ट के पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट के पॉजिटिव होने की कोई आवश्यकता नहीं है। मरीज को जितना जल्दी इलाज मिलेगा, वह उतना ही जल्द स्वस्थ होगा। सभी जिलों में इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू कराया जाए।