श्रीकृष्ण ने भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कान्हा ने जन्म लिया था। इस दिन को जन्माष्टमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है।
इस बार 18 और 19 अगस्त दो दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। मान्यता है इस दिन माता देवकी और वासुदेव ने आधी रात को मथुरा की जेल में एक बालक को जन्म दिया था। ये भगवान विष्णु का आठवां अवतार श्रीकृष्ण थे।
इस साल जन्माष्टमी पर बेहद वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है, जो इस दिन का महत्व बढ़ा रहे हैं। वृद्धि योग में कान्हा के साथ मां लक्ष्मी स्वरूप राधा रानी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, जीवन के सभी क्षेत्रों में तरक्की होती है और वैवाहिक जीवन खुशियों से भरा होता है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022 का शुभ मुहूर्त-
बात करें जनाष्टमी के शुभ मुहुर्त की तो इस बार अष्टमी तिथि का प्रारंभ 18 अगस्त की शाम 9.21 मिनट से शुरू होगा। और 19 अगस्त की रात 10.59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बाल गोपाल की पूजा की जाएगी।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022 पूजा विधि
जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा होती है। सबसे पहले लड्डू गोपाल का दूध, दही, शहद और जल से अभिषेक करें। अब श्रीकृष्ण के बाल रूप को झूले में बैठाएं और झुलाएं। भगवान को माखन, मिश्री, लड्डू, धनिया पंजीरी और दूसरी मिठाइयों को भोग लगाएं। रात के 12 बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करें। पूजा हो जाने पर लड्डू गोपाल की आरती करें।