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कल है देवशयनी एकादशी, जानिए क्यों अब 4 महीनों के लिए सो जाएंगे भगवान विष्णु

devshyani ekaadshi कल है देवशयनी एकादशी, जानिए क्यों अब 4 महीनों के लिए सो जाएंगे भगवान विष्णु

आषाढ़ मास में भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। एकादशी का व्रत भी भगवान विष्णु को समर्पित होता है, इसलिए आषाढ़ मास की एकादशी तिथि को विशेष महत्व दिया गया है।

किसे कहा जाता है चातुर्मास ?

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। और ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान विष्णु समेत समस्तह देवतागण 4 महीने के लिए सो जाते हैं। जिसे चातुर्मास कहा जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व-

पाताला लोक में विश्राम करेंगे भगवान विष्णु

कहते हैं कि देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होता है। और इस दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल शुरू हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तिथि से ही भगवान विष्णु पाताला लोक में विश्राम के लिए प्रस्थान करते हैं। और उनका शयनकाल देवउठनी एकादशी को समाप्त होता है।

क्यों सो जाते हैं भगवान विष्णु ?

हिंदू कथाओं के अनुसार एकबार राजा बलि ने अपने बल के प्रयोग से तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था। ये देखकर इंद्र देवता समेत अन्या देवता घबरा गए और भगवान विष्णु की शरण में गए। देवताओं को परेशान देखकर भगवान विष्णु‍ ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए।

राजा बलि ने वामन देवता से कहा कि जो मांगना चाहते हैं मांग लीजिए। इस पर वामन देवता ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली। पहले और दूसरे पग में वामन देवता ने धरती और आकाश को नाप लिया। अब तीसरे पग के लिए कुछ नहीं बचा तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।

विष्‍णुजी को पाताल लोक से वापस लाईं मां लक्ष्मी

ये देखकर भगवान राजा बलि से खुश हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। जिसपर बलि ने उनसे वरदान में पाताल लोक में बस जाने की बात कही। वहीं बलि की बात मानकर उनको पाताल में जाना पड़ा। ऐसा करने से समस्‍त देवता और मां लक्ष्‍मी परेशान हो गए।

कहते हैं कि इसके बाद अपने पति विष्‍णुजी को वापस लाने के लिए मां लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री के भेष में राजा बलि के पास गईं और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी और उपहार के रूप में विष्‍णुजी को पाताल लोक से वापस ले जाने का वरदान ले लिया।

नहीं किए जाते शुभ कार्य

पंचांग के अनुसार चातुर्मास की शुरूआत इस साल 20 जुलाई से होगी, और समापन 14 नवंबर को होगा। कहते हैं कि चातुर्मास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इसमें शादी-विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य भी नहीं किए जाते हैं।

कल है एकादशी का व्रत

हिंदू कैलेंडर के अनुसार 19 जुलाई 2021 से आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत होगी। एकादशी का व्रत 20 जुलाई 2021 को रखा जाएगा। साथ ही देवशयनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 21 जुलाई 2021 के दिन द्वादशी की तिथि को किया जाएगा।

कब है देवउठनी एकादशी ?

पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2021 को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसी दिन चातुर्मास का समापन भी होगा।

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