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सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में सरकार को एक बार फिर बड़ा झटका

court सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में सरकार को एक बार फिर बड़ा झटका

लखनऊ। सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती मामले में सरकार को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। अब इन शिक्षकों की भर्ती हाईकोर्ट के फैसले के अधीन होगी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर उत्तरपुस्तिका बदलने संबंधी मामले की जांच में प्रगति व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया है। उत्तरपुस्तिका बार कोडिंग पर भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।

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अभ्यर्थियों को 60 अंक मिलने के बावजूद उत्तीर्ण कर दिया गया

बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने सोनिका देवी की याचिका पर दिया। याची ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में मिली उत्तरपुस्तिका की कार्बन कॉपी पेश करते हुए दावा किया था कि उसने एससी कटेगरी से आवेदन किया था। उसे 64 अंक मिलने चाहिए थे और वह इसके बावजूद उक्त परीक्षा में अनुतीर्ण कर दी गई, जबकि कुछ अभ्यर्थियों को 60 अंक मिलने के बावजूद उत्तीर्ण कर दिया गया।

पहले पृष्ठ पर अंकित बार कोड अंदर के पृष्ठों से मेल नहीं खा रहे

साथ ही इस पर जब न्यायालय के आदेश पर परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण ने याची की उत्तरपुस्तिका कोर्ट के समक्ष पेश की तो पाया गया कि प्राधिकरण द्वारा पेश उत्तरपुस्तिका के पहले पृष्ठ पर अंकित बार कोड अंदर के पृष्ठों से मेल नहीं खा रहे हैं। न्यायालय ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा कि याची की उत्तरपुस्तिका बदल दी गई है। इस पर सरकार की ओर से आवश्यक जांच का आश्वासन दिया गया और साथ ही दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई।

सरकार का जवाब, जांच के लिए कमेटी गठित

वहीं बीते सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि प्रकरण की जांच के लिए कमेटी गठित कर करवाई जा रही है। सरकार की ओर से 12 अभ्यर्थियों की लिस्ट भी दी गई, जिनमें कुछ बदलाव की बात पाई गई। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अभ्यर्थियों की कॉपियों के पुनर्मुल्यांकन का कार्य चल रहा है। इस पर न्यायालय ने उपरोक्त आदेश देते हुए नियुक्तियों को अपने अंतिम आदेशों के आधीन कर लिया। उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त को दिए अपने एक आदेश में दो सदस्यीय खंडपीठ ने भी अहर्ता अंक कम किए जाने के मामले में पदों पर चयन को अपने अंतिम आदेश के अधीन किया हुआ है।

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