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अयोध्याः 498 साल बाद चांदी के झूले में विराजमान हुए रामलला, सावन पूर्णिमां तक मिलेगा दर्शन

अयोध्याः 498 साल बाद चांदी के झूले में विराजमान हुए रामलला, सावन पूर्णिमां तक मिलेगा दर्शन

अयोध्याः नागपंचमी के अवसर पर राम जन्मभूमि परिसर में अस्थाई बने मंदिर में विराजमान रामलाल को चांदी से तैयार झूले में विराजमान किया गया। ये झूला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तैयार करवाया है।

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मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक 498 साल बाद मंदिर के विवाद के बाद पहली बार भगवान रामलला चांदी के झूले पर सवार हुए हैं। बता दें कि ये सावन झूला मेला के दौरान सावन की पूर्णिमा तक उनका दर्शन झूले पर सवार स्थित में ही होगा।

कजरी गीत सुनाकर रामलला का रिझाया

राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते रामलाल टाट में थे। कोर्ट के आदेश पर लकड़ी के झूले पर उन्हें बिठाकर किसी तरह झूलनोत्सव की खानापूर्ति होती थी।

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उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला आने के बाद अब रामलाल के मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में हर कार्यक्रम में भव्यता लाई जा रही है। इसी कड़ी में रामलला को चांदी के झूले में विराजमान करवाया गया है। उनको कजरी गीत सुनाकर रिझाया गया है।

कोरोना की वजह से झलनोत्सव स्थगित

अयोध्या के विख्यात सावन झूला मेले को कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से स्थगित कर दिया गया है। बता दें कि संतों के मणिपर्वत पर झूलनोत्सव का आयोजन किया जाता था। लेकिन कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करते हुए श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित नहीं होने दी जा रही है। भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन ने जगह-जगह चेकिंग प्वाइंट बनाएं हैं।

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गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष सावन महीन में अयोध्या में झूलनोत्सव का आयोजन किया जाता था। इस दौरान मेले में करीब 10 लाख तक की भीड़ जुटती थी। पिछले साल कोरोना महामारी के चलते मेले को स्थगित कर दिया गया था। वहीं, इस साल कोरोना प्रोटोकॉल को देखते हुए सिर्फ मंदिरों में सीमित संख्या में ही झूलनोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है।

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बता दें कि एक पखवाड़े तक चलने वाले इस मेले में पुरानी वाली रौनक नहीं देखने को मिल रही है।

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