नई दिल्ली। बरेलवी मदरसे से जुड़े मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वह सूफी विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व में नेतृत्व करें। उन्होंने खुद कश्मीर घाटी में एक शांति रैली निकालने का प्रस्ताव दिया। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले गरीब नवाज फाउंडेशन के मौलाना अंसार रजा ने आईएएनएस से कहा, “हम लोगों ने गृहमंत्री से मुलाकात की और उन्हें प्रस्ताव दिया कि उन्हें सूफी विद्वानों और मुस्लिम धर्मगुरुओं के एक प्रतिनिधिमंडल का घाटी में नेतृत्व करना चाहिए। हम लोग पत्थरबाजी करने वाले युवकों के दिमाग में कुछ ज्ञान डालने की कोशिश करेंगे।”
रजा ने कहा कि देश भर के विभिन्न खानकाहों से 60 सूफी एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तिरंगा लेकर कश्मीर घाटी में शांति मार्च निकालने की योजना बनाई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर में आगे बढ़ने का रास्ता सूफीवाद है। रजा ने कहा, “सूफीवाद प्यार और माफी का रास्ता है। हम लोग पत्थरबाजी करने वाले युवकों से बात करेंगे और कुरान, हदीस और महान सूफी संतों के हवाले से हिंसा छोड़ने के लिए समझाने का प्रयास करेंगे।” उन्होंने अलगाववादियों से किसी भी तरह की बातचीत की संभावना को खारिज कर दिया।
रजा ने कहा, “आप उन लोगों से कैसे बात कर सकते हैं जो पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे है? हम लोग इसे मामले में बिल्कुल स्पष्ट हैं कि जैसे उनलोगों ने हाल में कुछ लोगों के साथ किया उस तरह से भगाए जाने के लिए हमलोग उनके दरवाजे नहीं जाएंगे। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के जो सदस्य सोमवार को हुर्रियत नेताओं से मिलने चले गए थे उन्हें ‘चायखोर’ करार देते हुए रजा ने कहा कि उन्हें प्रतिनिधिमंडल से टूटकर अलग होकर अलगाववादियों से मिलने नहीं जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “हमें उनके पास क्यों जाना चाहिए? कश्मीरी कहवा तो दिल्ली में भी मिलता है।” अलगाववादी नेताओं को दी गई सुविधाओं की समीक्षा सहित कश्मीर पर सरकार के रुख का समर्थन करते हुए रजा ने कहा कि समाधान जरूर निकलेगा। उन्होंने कहा, “कश्मीर की स्थिति पर भारत सरकार की नीति और प्रतिक्रिया ठीक है और समाधान निश्चित रूप से निकलेगा। कश्मीर हमारा है और हमारा रहेगा।”