आपने आज तक सुना होगा कि मौसम परिवर्तन के साथ ही घरों में लोग बीमार पड़ जाते हैं। जिन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।
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लेकिन अगर आपसे ये कहा जाए कि मंदिर में मौजूद भगवान भी बीमार हो चुके हैं। जिनका उपचार भी वैद्यजी द्वारा किया जा रहा है। ये सुनकर भी आश्चर्य होगा। भगवान के बीमार होने का कारण भी आम रस है। जिसका सेवन करने से भगवान का स्वास्थ्य बिगड़ा है। कोटा के रामपुरा ईलाके में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में भगवान इन दिनों बीमार है। जहां उनका उपचार करने के लिए वैद्यजी हर रोज मंदिर पहुंचते हैं।
मंदिर के पुजारी की माने तो मंदिर का निर्माण करीब 350 साल पहले हुआ था। इस मंदिर की स्थापना करने का उद्श्य ये था कि जो भी श्रद्धालू आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं होने की वजह से पूरी जगन्नाथ मंदिर नहीं जा सकते। वो यहां पर आकर पूजा अर्चना कर सकते है। इसके लिए दक्षिण के महाराज और कोटा के आचार्य ने पूरी से भगवान जगन्नाथ की मूर्ति लाकर उसको कोटा रामपुरा में स्थापित कर दिया था।
पुजारी का कहना है कि भगवान का बीमार होना फिर उनका उपचार किया जाना ये सब परंपरा का हिस्सा है। सामान्य वर्ष में भगवान जगन्नाथ के शयनकाल का समय 15 दिन का रहता है।
इतना ही नहीं भगवान का स्वास्थ्य बिगड़ा होने के चलते मंदिर में किसी भी प्रकार के शोर.शराबे पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा हुआ है। यहां तक कि मंदिर में लगी घंटियां और सभी दरवाजे व खिड़कियों को बांधकर रखा गया है। ताकि किसी तरह का कोई व्यवधान उत्पन्न न हो सके। मंदिर में भगवान के दर्शन बंद कर दिए गए हैं।
केवल पुजारी और वैद्यजी को ही उपचार हेतु सुबह.शाम भगवान तक पहुंचने की इजाज़त है। भगवान के ठीक होने के बाद मंदिर परिसर में ही रथ यात्रा निकाली जाती है। जिसके बाद भगवान श्रद्धालुओं को दर्शन देते है।