बरेली: दिव्यांग बच्चों के चौमुखी विकास और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य लेकर बरेली में पूजा सेवा संस्थान पिछले कई वर्षों से प्रयासरत है। 2010 में इस संस्थान ने सभी दिव्यांग बच्चों को समाज में आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया था। लगातार साकार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
चेयरमैन पीपी सिंह ने बताया किस तरह हुई शुरुआत
संस्थान के चेयरमैन पीपी सिंह ने बताया कि उनके यहां सभी दिव्यांग बच्चों को दैनिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक शिष्टाचार सिखा देना पहली प्राथमिकता में रखा गया है। इसके अतिरिक्त बच्चों को डांस, क्राफ्ट, गाना भी सिखाया जाता है। इसके लिए प्रोफेशनल ट्रेनर की मदद ली जा रही है। स्पीच थेरेपी, फिजियोथैरेपी, आइक्यू टेस्ट की मदद से बच्चों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दे रहे हैं।
दिव्यांग बच्चे बन रहे शारीरिक रूप से मजबूत
शारीरिक रूप से बच्चों को मजबूत बनाए रखने के लिए जिम की उपलब्धता भी इस संस्थान के अंदर है। इसके अतिरिक्त बच्चों को टेक्नोलॉजी, क्राफ्ट से भी जोड़ने की कोशिश लगातार रहती है। मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए उन्हें सिनेमा, पिकनिक और अन्य मनोरंजन के साधनों से जोड़ने की कोशिश की जाती है। बातचीत के दौरान चेयरमैन ने बताया कि स्पेशल ट्रेनर की मदद से इस पूरे पर कार्यक्रम को संचालित किया जाता है।
बच्चों की कमजोरी उनकी ताकत बनानी है
आर्थिक रूप से संस्थान को मजबूती देने में रोटरी क्लब बरेली नॉर्थ, इनरव्हील क्लब बरेली न्यू नॉर्थ का बहुत बड़ा योगदान है। मौजूदा चेयरमैन दिव्यांगजन सलाहकार बोर्ड के सदस्य और नेशनल ट्रस्ट सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य भी रह चुके हैं। अपने अनुभवों के आधार पर पूजा सेवा संस्थान में बच्चों को हर दिन कुछ अलग और बेहतर देने की कोशिश की जाती है। इसमें उनके अभिभावक और समाज के अन्य लोगों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। इनका मुख्य उद्देश्य दिव्यांग बच्चों की कमजोरी को उनकी ताकत में बदलना है।
अर्पण शर्मा ने सिल्वर पदक जीत रचा था इतिहास
यह बदलाव अर्पण शर्मा नामक बच्चे के रूप में दिखाई भी दिया। स्पेशल ओलंपिक अमेरिका और आस्ट्रेलिया में अर्पण का प्रदर्शन काफी सराहनीय है। उन्होंने सिल्वर पदक भी हासिल किया। दिसंबर महीने में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अर्पण शर्मा को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के पुरस्कार से भी नवाजा गया। उन्हें 25000 की धनराशि भी प्रदेश सरकार की तरफ से दी गई। पूजा सेवा संस्थान के सराहनीय प्रयासों को 2016 में यूपी सरकार की तरफ से राज्य स्तरीय पुरस्कार के रुप में नवाजा गया, संस्थान के चेयरमैन बताते हैं कि यहां आने वाले सभी बच्चे बरेली जिले के हैं।
कोरोना काल में पूजा सेवा संस्थान ने साथ नहीं छोड़ा
कोरोना काल के दौरान जब सब कुछ रुक गया था, उस दौरान भी पूजा सेवा संस्थान ने अपने दिव्यांग बच्चों का हाथ नहीं छोड़ा। इस दौरान ऑनलाइन ट्रेनिंग और कंपटीशन के माध्यम से सभी बच्चे इस प्रक्रिया से जुड़े रहे। पूजा सेवा संस्थान द्वारा ‘सितारे जमीं पर’ नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें हर शनिवार को शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे के बीच में झूम मीटिंग का आयोजन होता है।
बच्चों को मंच उपलब्ध कराना प्राथमिकता
इस दौरान पूरे देश के बच्चे जिन्होंने पहले से रजिस्ट्रेशन कर रखा है, इसका हिस्सा होते हैं। उन्हें एक मंच उपलब्ध कराया जाता है, जहां वह अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से सीखते हैं और प्रदर्शन करते हैं। बीते दिनों प्रसिद्ध बॉलीवुड कलाकार मुकेश भारती और मंजू भारती भी इस कार्यक्रम का हिस्सा रहे। ऐसे बच्चे जो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है, उन सभी दिव्यांग बच्चों के लिए ‘निरामया बीमा योजना’ भी शुरू की गई है। जिसमें ₹500 में ₹10,0000 तक का हेल्थ इंश्योरेंस सभी बच्चों को दिया जाता है।
इस काम के लिए सामने आई चुनौतिए
हालांकि यह काम करना इतना आसान नहीं है। चुनौतियों पर बात करते हुए पीपी सिंह ने बताया कि माता पिता और अभिभावकों को इस कार्यक्रम से जोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। उनके बीच जागरूकता फैलाना भी एक बड़ी चुनौती है, अभिभावकों को यह बताना कि दिव्यांग बच्चों के साथ कैसे बेहतर रिश्ते स्थापित किए जा सकते हैं, बिना नाराजगी के उनकी स्थिति में सुधार कैसे किया जा सकता है, यह सब सेमिनार के माध्यम से बताया-समझाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में जितना पूजा सेवा संस्थान अपनी भागीदारी दिखा रहा है, उसी स्तर पर सर्व समाज को आगे आकर अपना सहयोग देने की जरूरत है। सरकार की तरफ से भी आर्थिक मदद और कई सरकारी योजनाओं में फायदा दिए जाने से काफी मदद मिलेगी।
पूजा सेवा संस्थान में बच्चों को उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति के हिसाब से ट्रेनिंग दी जाती है और उसी आधार पर उनमें बदलाव देखने को मिलता है। 5-7 साल की उम्र से लेकर 35 साल तक के बच्चों को यहां देखभाल में रखा जा रहा है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की ओर बढ़ रही है।