दुनिया के अंत को लेकर अकसर कई धार्मिक लोग बताते रहते हैं। शायदा से ही कोई ऐसा धर्म बचा हो जिसमें कायमत या फिर प्रलय की चर्चा न होती हो या फिन न बताया गया हो। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा हो सकता है और वैज्ञानिक इसके बारे में क्या बोलते और सोचते हैं। इसके बारे में हर कोई जानना चाहता है। आपको बता दें, वैज्ञानिक इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने में लग गये हैं। इसके साथ ही आपको जानकर हैरानी होगी कि, वैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि ब्रह्माण्ड पैदा हुआ है तो उसका अंत भी निश्चित है। इसी अंत के बारे में जानने का प्रयास एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने किया है।
मैट कैप्लान ने पूर्वानुमान लगाया है कि हमारा ब्रह्माण्ड एक काले ड्वार्फ तारे के सुपरनोवा के साथ खत्म होगा। यह घटना आज से 10^3,2000 साल बाद होगी। कैपलान ने एक बयान में कहा है कि हमारा ब्रह्माण्ड एक अकेली, दुखी और ठंडी जगह हो जाएगी। उनका मानना है कि अपने अंतिम समय में ब्रह्माण्ड ज्यादातर जल चुके तारों और ब्लैकहोल से भरा होगा।कैप्लान अमेरिका की इलिनोइस स्टेट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
कैप्लान का कहना है कि, विशालकाय तारे अपने कोर में लोहा पैदा करते हैं और इसीलिए वे सुपरनोवा में बदल जाते हैं। वहीं छोटे तारे सफेद ड्वार्फ में बदल जाते हैं जब तारों का ऊष्मानाभिकीय ईंधन खत्म हो जाता है और उनके पास लोहा बनाने लायक गुरत्व पदार्थ नहीं होता। ये सफेद ड्वार्फ हजारों-अरबों सालों में ठंडे हो जाएंगे और धुंधले होते जाएंगे। ये ठोस पदार्थ में जम जाएंगे और ब्लैक ड्वार्फ तारों में बदल जाएंगे जो फिर नहीं चमकेंगे। और इस तरह दुनाय का अंत हो जाएगा।
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आपको बता दें, कैप्लान के दावे का कई विद्वान समर्थन नहीं करते हैं। यही कारण है कि, उनके इस बयान पर काफी लोगों ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी।