लखनऊ: बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जन्मदिवस अब सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाये जाने की तैयारी है। केंद्र सरकार ने इसका ऐलान कर दिया है, 14 अप्रैल अंबेडकर जयंती अब देश में अवकाश के रूप में मनाई जायेगी।
इसी वर्ष से लागू होगा नया नियम
इस वर्ष 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश होगा, देशभर में बाबा साहब का जन्मदिवस धूमधाम से मनाया जायेगा। सरकार ने यह निर्णय लेकर राजनीतिक जमीन में भी हलचल पैदा कर दी है। जहां एक तरफ बीजेपी को हिंदू राजनीति करने वाला कहा जाता है, वहीं अब यह निर्णय दलित नेताओं को हजम नहीं होगा।
बाबा साहब किसके?
बाबा साहब किसके हैं, यह सवाल अक्सर राजनीतिक पार्टियां उठाती रहती हैं। बीजेपी ने भी सत्ता में आने के साथ ही बाबा साहब का जिक्र और तेजी से शुरु कर दिया। प्रधानमंत्री भी कई अवसरों पर विपक्ष को नसीहत देते हुए नज़र आये हैं।
भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर दलित चिंतक ही नहीं, हमारे संविधान के प्रमुख सूत्रधार थे। देश में कई राजनीतिक दल ऐसे हैं, जो उनके रास्ते पर चलने की बात करते रहते हैं। जबकि दलित और गरीब की स्थिति में वह सुधार आज भी नहीं आ पाया, जो बाबा साहब चाहते थे।
बंगाल के चुनाव पर असर
इस ऐलान का असर राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव पर भी हो सकता है, हालांकि बीजेपी काफी पहले से बाबा साहब को उचित मान न दिए जाने का मुद्दा उठाती आई है। लेकिन हाल फिलहाल के माहौल को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बंगाल चुनाव में बाबा साहब की इंट्री हो सकती है।
बंगाल में ममता राज के खिलाफ बीजेपी अपना दांव खेल रही है, वहीं अन्य विपक्षी दलों का समर्थन भी ममता बनर्जी मांग रही हैं। उन्होंने कई नेताओं को चिट्ठी लिखकर साथ आने की बात कही। बंगाल की धरती में अगर बीजेपी का कमल खिलता है, तो विपक्ष के लिए यह एक बड़ी चोट होगी।
इस दिन होता है राष्ट्रीय अवकाश
भारत में कुछ विशेष दिन हैं, जब राष्ट्रीय अवकाश मनाया जाता है। इनमें 15 अगस्त, जब स्वतंत्रता दिवस का पर्व होता है। 26 जनवरी, जब हम गणतंत्र होने का जश्न मनाते हैं और 2 अक्टूबर, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस मनाया जाता है।