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मंदी की फिल्म थ्योरी पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविशंकर प्रसाद को घेरा, कहा फिल्मी दुनिया से बाहर आएं

Untitled 4 मंदी की फिल्म थ्योरी पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविशंकर प्रसाद को घेरा, कहा फिल्मी दुनिया से बाहर आएं

नई दिल्ली: मंदी के दावों को नकारने के लिए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने फिल्म कलेक्शन का डेटा पेश किया। अब इसी को लेकर रविशंकर प्रसाद चौतरफा घिर गए हैं। कांग्रेस ने कहा है कि लोगों की नौकरियां जा रही है, केंद्रीय मंत्री को फिल्मी दुनिया से निकलने की जरूरत है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा, ”ये दुख की बात है कि जब देश में लाखों लोग नौकरियां खो रहे हैं, उनके पैसे पर बैंक कुंडली मारकर बैठे हैं, सरकार को जनता के दुख की फिक्र नहीं है। उन्हें फिल्मों के मुनाफे की परवाह है। मंत्री जी फिल्मी दुनिया से बाहर निकलिये। हकीकत से मुंह मत चुराइये।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा, “दो अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश के दिन तीन हिंदी फिल्मों ने 120 करोड़ रुपये की कमाई है। यदि अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होती तो केवल तीन फिल्में एक दिन में 120 करोड़ रुपये का कारोबार कैसे करतीं?” प्रसाद ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग योजनाबद्ध तरीके से सरकार के खिलाफ लोगों को बेरोजगारी की स्थिति के बारे में गुमराह कर रहे हैं।

केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और कानून मंत्री ने बेरोजगारी पर राष्‍ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट को भी “गलत” बताया। इसमें कहा गया था कि साल 2017 में बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा रही। एनएसएसओ की रिपोर्ट पर प्रसाद ने कहा, “मैं आपको 10 मापदंड बता सकता हूं जहां अर्थव्यस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है लेकिन एनएसएसओ की रिपोर्ट में इनमें से किसी को नहीं दिखाया गया है। इसलिए मैं इस रिपोर्ट को गलत कहता हूं।

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी कुछ दिन पहले कहा कि भारत और ब्राजील में आर्थिक सुस्ती इस साल कुछ ज्यादा साफ दिखती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जिर्जीवा ने हाल में कहा कि दुनिया की 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर से गुजर रही है। भारत और ब्राजील जैसे देशों पर इसका असर साफ नजर आ रहा है।

यही नहीं विश्व प्रतिस्पर्धा सूचकांक रिपोर्ट में भी भारत का स्थान दस पायदान नीचे आ गया। जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) के सालाना वैश्विक प्रतिस्पर्धिता सूचकांक में भारत पिछले साल 58वें स्थान पर रहा था। दूसरी तरफ औद्योगिक सूचकांक अगस्त माह में 1.1 प्रतिशत नीचे आ गया जो कि पिछले सात साल के दौरान सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा है। ऑटो सेक्टर में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है।

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