गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर गुजरात गए हैं। गुजरात पहुंचने के बाद सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद के साबरमती आश्रम गए। साबरमती आश्रम इस साल अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस दौरान पीएम मोदी ने आश्रम की 100 वर्षगांठ समारोह में हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने यहां पर चरखा चलाकर सूत भी काटा। वही लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी गौहत्या पर बोलते हुए भावुक होते हुए नजर आए। पीएम मोदी ने कहा कि गाय की सेवा करना हमें विनोबा भावे और महात्मा गांधी से सीखनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा क्यों होती है।
पीएम मोदी ने कहा है कि जिस देश के लोग चीटी को भी खाना खिलाने में भक्ति रखता है, जिस देश में गली के कुत्ते को भी खाना दिया जाता है, आज उस देश को क्या हो गया है और वह क्यों हिंसा के रास्ते पर चल रहा है। वही पीएम मोदी ने कहा कि जब वह छोटे थे तो उनके घर के पास एक परिवार रहता था। उस परिवार में कोई भी संतान नहीं थी जिस कारणवश परिवार के लोग काफी चिंता में रहते थे। कई वर्षों के बाद जब उनके घर में संतान ने जन्म लिया तो उनके परिवार के सदस्यों ने गाय को खाना खिलाया। ऐसे में गाय उनके घर के पास आकर रोजाना खाना खाया करती थी। एक दिन उस गाय के पैर के नीचे आकर बच्चे की मौत हो गई। अगले दिन जब वह गाय उनके घर के पास आई तो वह रोने लग रही थी, ऐसे में काफी लोगों ने गाय को रोटी खिलाने की कोशिश की लेकिन कई दिनों तक गाय ने कुछ नहीं खाया। कई दिनों तक कुछ ना खाने पीने के कारण उस गाय ने दम तोड़ दिया। पीएम मोदी ने इस कहानी के माध्यम से लोगों को समझाया कि एक बच्चे की मौत के पीछे जब गाय ने अपना शरीर त्याग दिया। लेकिन आज के दौर में देश में लोग गाय की ही हत्या करने में लगे हुए हैं।
पीएम मोदी ने यहा कहा कि गाय की सेवा करना गाय की भक्ति करना है, मौजूदा हालातों को देखते हुए उन्हें पीड़ा होती है। पीएम मोदी का मानना है कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा करना ठिक नहीं है। उनका कहना है कि देश में कई लोग हैं जो गायों के नाम पर हिंसा करने में लगे रहते हैं। उनका कहना है कि देश को अहिंसा के रास्ते पर चलना होगा। वही कानून के बारे में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि किसी को सजा देनी होती है तो वह कानून का काम होता है लोगों का कानून अपने हाथों में लेना बिल्कुल गलत है। पीएम मोदी का मानना है कि किसी भी समस्या का सामाधान हिंसा से नहीं किया जा सकता है।