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पाकिस्तान के अब्दुर रसूल ने बनवाया ‘नया ताजमहल’, 400 साल बाद फिर इतिहास दोहराने की हुई कोशिश

naya tajmahal built by abdul rasul 1 पाकिस्तान के अब्दुर रसूल ने बनवाया 'नया ताजमहल', 400 साल बाद फिर इतिहास दोहराने की हुई कोशिश

पाकिस्तान – पाकिस्तान के उमरकोट में रहने वाले अब्दुर रसूल की पहचान मुग़ल बादशाह शाहजहां से की जा रही है। बताया जा रहा है कि अब्दुर रसूल ने अपनी पत्नी मरियम से बेपनाह प्यार के चलते एक नया ताजमहल खड़ा कर दिया है। उनके प्रेम की शानदार निशानी को लोग दूर-दूर से देखने आ रहे है। बता दे कि उमरकोट मुगल शहंशाह अकबर का जन्म स्थान है तथा इस मामले के द्वारा 400 साल बाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

सन 1980 में भारत आकर किया था ताजमहल का भ्रमण –
बताया जा रहा है कि सन 1980 में अब्दुर रसूल पहली बार भारत आये थे तथा अपने दोस्त के साथ ताजमहल का भ्रमण किया। जमुना नदी किनारे खड़ी दुनिया की सबसे मशहूर सफेद संगमरमर की इमारत ने रसूल पर जादुई असर डाला। आगरा का ताजमहल स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। पत्नी मुमताज महल की याद में शाहजहां का तोहफा शायरों, कवियों, डायरेक्टर, प्रेमियों, सैलानियों और लेखकों के लिए प्रेरणास्रोत है। पाकिस्तान के उमरकोट में अब्दुर रसूल ने अपनी दिवंगत पत्नी मरियम की याद में ताजमहल से मिलता-जुलता मकबरा बनवाया है। मुहब्बत की शानदार निशानी देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं और स्मारक को अपनी यादों में बसा रहे है।

पत्नी मरियम की याद में बनवाया ‘नया ताजमहल’ –
बताया जा रहा है कि अब्दुल रसूल की शादी 18 साल की उम्र में 40 वर्षीय महिला से हुई थी। दोनों की उम्र में काफी अंतर होने के बावजूद मोहब्बत के फूल खिलते रहे। 2015 का साल दोनों की जिंदगी में तूफान बनकर आया। अब्दुर रसूल की पत्नी मरियम एक दिन अचानक बेहोश हो गई।अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने स्ट्रोक की बात बताई। इस दौरान बीमार पत्नी के पास पति हर वक्त साए की तरह खड़े रहे। उनकी तीमारदारी में किसी तरह की कमी नहीं आने दी। एक दिन जागने पर पता चला कि पत्नी दुनिया को छोड़कर जा चुकी है। पत्नी की मौत के बाद उन्होंने अपनी पत्नी की याद में एक शानदार इमारत बनाने का इरादा किया। 20 फीट ऊंचा और 18 फीट चौड़ा छोटा ताजमहल बनवाने के लिए कोशश शुरू कर दी। लेकिन अब्दुर रसूल को मजदूरों की फौज नहीं बल्कि मस्जिद बनानेवाला मिस्त्री का साथ मिला। ताजमहल को स्मृति में रखकर वह दिन भर मजदूरों के साथ खड़े होकर काम करवाते थे। उनकी मोहब्बत का नायाब नमूना मात्र छह महीने में बनकर तैयार हो गया। मिस्त्री ने इमारत पर निर्माण का खर्च 12 लाख रुपये बताया। ताजमहल जैसी मिलती जुलती इमारत बनने के बाद अब्दुर रसूल का ज्यादातर वक्त पुरानी यादों में गुजरता है। अब उन्हें घर से ज्यादा सुकून इस नए ताजमहल स्थित मरियम की कब्र पर मिलता है।

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