कराची। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ. अब्दुल कदीर खान ने कहा कि देश 1984 में ही परमाणु शक्ति बन गया होता लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने पहल का विरोध किया था। खान ने कहा कि रावलपिंडी के नजदीक काहूता से भारत की राजधानी दिल्ली को 5 मिनट में निशाना बनाने की क्षमता पाकिस्तान के पास है।
कादिर खान पहले परमाणु परीक्षण की वर्षगांठ पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे जो 1998 में उनकी देखरेख में किया गया था। कदीर खान ने कहा है कि पाकिस्तान के पास 1984 में परमाणु परीक्षण करने की क्षमता थी और उसने योजना भी बनाई थी। लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने इस विचार का विरोध किया था। कदीर खान ने कहा कि राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने इस विचार का विरोध इसलिए किया, क्योंकि इससे पाकिस्तान को मिल रहे उस अंतर्राष्ट्रीय सहायता में कटौती हो जाती, जो उसे अफगानिस्तान पर सोवियत संघ के कब्जे की वजह से मिल रहा थी।
खान ने यह भी कहा, ‘‘मेरी सेवा के बगैर पाकिस्तान कभी भी परमाणु शक्ति संपन्न पहला मुस्लिम राष्ट्र नहीं बन पाता। हम लोग बहुत कठिन परिस्थतियों में यह क्षमता हासिल करने में समर्थ थे, लेकिन हमने यह किया।’’ खान पाकिस्तान के परमाणु संपन्न देश बनने के अवसर यौम-ए-तकबीर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।