नई दिल्ली। भारत की पहली महिला एस्ट्रोनॉट कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में जाकर भारत का नाम रौशन किया था और कामयाबी के झंडे गाडे थे, लेकिन जब अंतरिक्ष यात्रा पर गई अपनी बेटी का वापस आने का सब भारतवासी इंतजार कर रहे थे तब एक फरवरी 2003 को एक मनहूस खबर ने सबको झकझोंर कर रख दिया। दरअसल जब चावला के साथ सात अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर आ रहे थे तब अचानक महज 16 मिनट की देरी के कारण कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों ऊपर आसमान में ही मौत की नींद सौ गए और अंतरिक्ष में उड़ने का सपना लेकर चलने वाली चावला ने अंतरिक्ष में ही घर कर लिया।
जैसे ही ये खबर सामने आई तो भारत से लेकर इजरायल और अमेरिका तक सबकी आंखों में आंसू आ गए। वैज्ञानिकों की मानें तो जैसे ही कोलंबिया ने पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, वैसे ही उसकी उष्मारोधी परतें फट गयीं और यान का तापमान बढ़ने से हादसा हो गया, जिसमें सभी अंतरिक्ष यात्रियों की जान चली गई और 1 फरवरी 2003 का वो दिन अंतरिक्ष इतिहास का एक मनहूस दिन बन गया। अंतरिक्ष यात्रियों का यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से करीब दो लाख फीट की ऊंचाई पर था और यान की रफ्तार थी करीब 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा।
यान धरती से इतना करीब था कि अगले 16 मिनट में उनका यान अमेरिका के टैक्सस में उतरने वाला था और सभी इसके लिए तैयार थे और पूरी दुनिया की नजरें इस यान पर थीं। तभी एक बुरी खबर आयी कि नासा का इस यान से संपर्क टूट चुका है। इससे पहले कि लोगों की समझ में कुछ आता इस अंतरिक्ष यान का मलबा टैक्सस के डैलस इलाके में लगभग 160 किलोमीटर क्षेत्रफल में फैल गया और हादसे में कल्पना चावला सहित सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई। कल्पना चावला की बात करें तो इस भारत की इस बेटी का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था।
उनका परिवार मध्यवर्गीय वर्ग का था और उनकी शुरुआती पढ़ाई करनाल के ही टैगोर बाल निकेतन में हुई थी। हरियाणा के पारंपरिक समाज में कल्पना जैसी लड़की ख्वाब देखने से भी घबराती थी लेकिन कल्पना ने अपने सपनों की उड़ान नहीं छोड़ी और चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया और अंतरिक्ष का रुख किया।