नई दिल्ली। एक तरफ केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में हर क्षेत्र में आधार कार्ड के उपयोग को जायज बताया तो वहीं सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर सुनवाई करेगी। दरअसल आधार मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल किया था कि क्या सरकार ये चिंता वाजिब नहीं है कि सामाजिक कल्याण की योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे और लाभांवित व्यक्ति जिंदा है भी या नहीं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने यह सवाल आधार को चुनौती देने वालों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की दलीलों पर उठाया।
दीवान का कहना था कि यह चिंता सभी नागरिकों के निजी और बायोमीट्रिक ब्योरे के एकत्रीकरण को जायज नहीं ठहरा सकती। चूंकि इससे उनकी प्रोफाइलिंग और निगरानी की जा सके। पीठ ने कहा था कि ऐसा लगता है कि केंद्र और राज्य सरकार आधार का इस्तेमाल सामाजिक कल्याण की योजनाओं के लिए कर रहे हैं, लेकिन आप (वकील) बता रहे हैं कि इसका इस्तेमाल प्रोफाइलिंग के लिए किया जा रहा है। पीठ ने सरकार के उस जवाब का भी हवाला दिया कि वह आधार के इस्तेमाल से मनरेगा, रसोई गैस सब्सिडी आदि योजनाओं में डीबीटी के जरिए बचत कर रही।