नई दिल्ली। आज भारत अपना 68वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर आज हमको बताने जा रहे है भारत के राष्ट्रगान के बार में भारत का राष्ट्रगान के बारे में जिसके हर शब्द का एक अलग ही अर्थ है तो चलिए आज जानते है अपने राष्ट्रगान के बारे में…
क्या है अर्थ
“सभी लोगों के मस्तिष्क के शासक, कला तुम हो, भारत की किस्मत बनाने वाले ये पंक्ति भारत के नागरिकों को समर्पित है, क्युकी लोकतंत्र में नागरिक ही वास्तविक स्वामी होता है। अगली पंक्तिया भारत देश की भूमि को नमन करते हुए है तुम्हारा नाम पंजाब, सिन्ध, गुजरात और मराठों के दिलों के साथ ही बंगाल, ओड़िसा, और द्रविड़ों को भी उत्तेजित करता है, इसकी गूँज विन्ध्य और हिमालय के पहाड़ों में सुनाई देती है, गंगा और जमुना के संगीत में मिलती है और भारतीय समुद्र की लहरों द्वारा गुणगान किया जाता है। वो तुम्हारे आर्शीवाद के लिये प्रार्थना करते है और तुम्हारी प्रशंसा के गीत गाते है। [अगली पंक्तिया देश के सैनिकों और किसानों को समर्पित है। तुम ही समस्त प्राणियों को सुरक्षा एवं मंगल जीवन प्रदान करने वाले हो, और तुम ही भारत के वास्तिविक भाग्य विधाता हो जय हो जय हो जय हो तुम्हारी। आप सभी से मिलकर ये राष्ट्र बना है, अतः आप सबकी जय जय जय जय हे”
भारत के राष्ट्रगान का इतिहास
भारत का राष्ट्रगान रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा ‘जन गन मन अधिनायक’ को पहले बंगाली में लिखा गया था, और इसका हिन्दी संस्करण संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया। 1911 में टैगोर ने इस गीत और संगीत को रचा था और इसको पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कलकत्ता मीटिंग में 27 दिसंबर 1911 में गाया गया था। इस गीत के एक संस्करण का बंगाली से अंग्रेजी में अनुवादित किया गया और तब इसका संगीत मदनापल्लै में सजाया गया जो कि आंध्रप्रदेश के चित्तुर जिले में है। भारत के राष्ट गान को गाने के लिए निर्धारित समय 52 सेकण्ड है, और इस समय सभी जन सावधान की मुद्रा में भारतीय ध्वज की तरफ देखकर खड़े होते है।