नई दिल्ली। विकास की ओर बढ़ते भारत के न्यायालय भी अब हाईटेक हो रहे हैं। विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट में अब ऑनलाइन शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी। अब कोई भी व्यक्ति न्याय पाने के लिए इंटरनेट के माध्यम से अपनी याचिका अथवा जरूरी कागजात शीर्ष न्यायालय में दाखिल कर सकेगा।
पीएम मोदी ने शीर्ष न्यायालय को डिजिटल बनाने वाली इस व्यवस्था का उद्धाटन करते हुए कहा कि यह बदलाव की शुरुआत है। तकनीक की ताकत अद्भुत है। देश बदल रहा है और आज छुट्टी के दिन भी हम काम कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीश अपनी छुट्टियां कम कर के काम कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन शिकायतों का शुभारंभ करने के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि कोशिश होनी चाहिए की हमारी तकनीकी समझ केवल हार्डवेयर तक ही सीमित नहीं रहे। चुनौती सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर में नहीं है। इसके लिए एक सामूहिक मन बनाना पड़ता है, एक चेन अटकी तो पूरी प्रक्रिया अटक जाती है।
बढ़ते मामलों पर चिंता
न्यायालयों के समक्ष अर्से से लंबित मामलों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के तमाम कोर्ट में कई इतने सारे केस लंबित पड़े हुए है, इनकी तादाद को कैसे कम किया जाए इस पर ध्यान देना जरूरी है। शीर्ष न्यायालय के डिजिटल और पेपरलेस बनने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ए4 साइज का एक पेपर बनाने की प्रक्रिया में तकरीबन 10 लीटर पानी खर्च होता है। अगर हम पेपरलेस हुए तो हम आने वाली पीढ़ियों के लिए कितना पानी बचाएं। साथ ही उन्होंने डिजिटल लेनदेन को जीवन का हिस्सा बनाए जाने पर जोर दिया।
वकीलों के लिए सुविधा
पीएम मोदी से पहले कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खेहर के कहा सुप्रीम कोर्ट में डिजिटल याचिका दाखिल करने की व्यवस्था शुरू होने से वकील अब अपने चेंबर से ई-फाइलिंग कर सकेंगे।