पटना। हाल ही में बदली बिहार की सत्ता ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। नीतीश ने बिहार में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली है। जिसके बाद नीतीश सरकार ने यूपी की तरह बिहार में भी अवैध बूचड़खानों को बंद करने का फैसला किया है। पशु तस्करी और अवैध बूचड़खानों को लेकर मत्स्य पालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने बीते शनिवार को फैसला लिया कि अब बिहार में अवैध बूचड़खाने बंद किए जाएंगे। मंत्री ने कहा कि मैंने सभी बूचड़खानों की रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। जिसमें सभी ऐसे बूचड़खानों को शामिल किया जाएगा जिसमें लाइसेंस और अवैध बचड़खाने शामिल होंगे। इन्हीं रिपोर्ट के आधार पर अवैध बूचड़खानों को बंद किया जाएगा।
वहीं नियमों के मुताबिक बिहार में सिर्फ दो बूचड़खाने ही वैध हैं। जिनमें से एक बूचड़खाना अरारिया जिले में हैं और दूसरा फारबिसगंज में है। डिपार्टमेंट के अधिकारियों का भी यही कहना है कि सिर्फ दो ही बूचड़खाने वैध हैं। जिनके पास लाइसेंस है। सीमाचल इलाके में अवैध बूचड़खानों की संख्या सबसे ज्यादा है। जिसमें दो और इलाके आते हैं कासगंज और पुरनिया पटना में भी करीब दो दर्जन से ज्यादा बूचड़खाने अवैध हैं। बता दें कि बूचड़खानों के लिए लाइसेंस स्थानीय नगर निगम जारी करती है।
बता दें कि बिहार में ये कदम उस वक्त उठाया गया जब भोजपुर जिले के रानीसागर में एक अवैध बूचड़खाने को बंद कर तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। भोजपुर इलाके में कुछ लोगों ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ बीफ की सप्लाई की बात की थी। जिसके बाद आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा ने कड़ी आलोचना करते हुए अवैध बूचड़खानों को बंद करने की बात कही। बिहार में बचड़खानों को बंद करना सिर्फ इस बात का उदहारण है कि सरकार की प्राथमिकता कैसे बदल गई। बिहार में नीतीश सिर्फ सरकार का चेहरा है असल में सरकार तो बीजेपी चला रही है।