नई दिल्ली। रामसेतु को नुकसान पहुंचाने वाले मामले में केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि सरकार सेतुसुमुद्र प्रोजेक्ट के तहत रामसेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी। केंद्र ने कहा कि राष्ट्र हित में पौराणिक रामसेतु पर चल रहे काम का कोई असर इस सेतु पर नहीं होगा। बता दें कि ये प्रोजेक्ट यूपीए सरकार की देन है, जिसको रोकने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्रीय शिपिंग मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि राम सेतु पर दायर याचिका को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ के समकक्ष हलफनामा सौंपते हुए मंत्रालय ने कहा कि वरिष्ठ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को अब रद्द कर देना चाहिए क्योंकि बीजेपी नेता ने ये याचिका यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान सेतुसमुद्र प्रॉजेक्ट को रद्द करने की मांग करते हुए लगाई थी। शिपिंग मंत्रालय ने कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में कहा कि भारत सरकार राष्ट्र के हित में रामसेतु को प्रभावित किए बिना ‘सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रॉजेक्ट’ को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है। वह इस प्रोजेक्ट के पहले तय किए एलाइंमेंट के विकल्प खोजने में जुटी है।
केंद्र की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि केंद्र ने पहले दिए निर्देशों का अनुसरण करते हुए जवाब दाखिल किया है और अब याचिका खारिज की जा सकती है। स्वामी ने शीप चैनल प्रोजेक्ट के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुए केंद्र को पौराणिक रामसेतु को हाथ न लगाने का निर्देश देने की अपील की थी। उल्लेखनीय है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान रामसेतु को तोड़कर योजना को आगे बढ़ाने का बीजेपी ने पुरजोर विरोध किया था और आंदोलन चलाया था।