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गिरिराज जी के शिला को घर लाने से पहले इस खबर को जरूर पढ़ें

giriraj ji गिरिराज जी के शिला को घर लाने से पहले इस खबर को जरूर पढ़ें

अगर आप गोवर्धन से गिरिराज जी के शिला को घर ले जाना चाहते हैं तो इस खबर को ध्यान से पढ़ लीजिए। क्योंकि हो सकता है कि आप एक बड़ी गलती करने जा रहे हों और ये खबर आपको कोई गलती करने से बचा ले।

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ऐसा कहा जाता है जो गिरिराज जी को छोटे या बड़े शिला के रूप में अपने घर ले गए उन्हें जीवन भर परेशान रहना पड़ा है। इतना ही नहीं अंत समय में उनके घरवालों को गिरिराज जी को यहीं छोड़कर जाना पड़ा है।

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यानि की गिरिराज जी ब्रज से बाहर नहीं जाते हैं और जो इन्हें ब्रज से बाहर ले जाते हैं उन्हें जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

दरअसल यहां आने वाले श्रद्धालुओं के मन में अक्सर गिरिराज जी को अपने घर ले जाने का भाव आता है। जिससे वो घर में उनकी पूजा कर सकें लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि इससे वो नई परेशानियों से घिर सकते हैं।

एक उदाहरण हैं मुंबई के रहने वाले हरिदास जी का जो हर 6 महीने में गोवर्धन की परिक्रमा के लिए यहां आते थे। मनोरथ करा भंडारा करवाते थे। उनके मन में भी गिरिराज जी को ले जाने का भाव आया। और वो ले भी गए।

बताया जाता है कि गिरिराज जी उनके सपने में एक बार आए और कहा कि हरिदास मुझे तेरी बंबई में अच्छा नहीं लगता है तू मुझे जहां से लाया है वहीं छोड़कर आ जा।

दूसरी बार भी सपने में आकर गिरिराज ने हरिदास से ऐसा ही कहा लेकिन उसने नहीं सुना तीसरी बार गिरिराज जी ने सपने में आकर उसे आदेश दिया कि अगर तुम मुझे मेरे ब्रज में छोड़कर नहीं आए तो मैं तुम्हारा सर्वनाश कर दूंगा। लेकिन हरिदास नहीं माना। उसके बाद हरिदास की हर फैक्ट्री में ताला लग गया गिरिराज जी उसे रोड पर ले आए। गिरिराज जी ने उसे कंगाल बना दिया था।

सेवा न करने की वजह से हरिदास ने गिरिराज जी को अपने दोस्त को दे दिया। जैसे ही गिरिराज जी वहां पहुंचे वहां भी गृह कलेश शुरू हो गया। इसके बाद किसी ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी की गिरिराज जी को उनके ब्रज छोड़कर आओ तो सब ठीक हो जाएगा।

ऐसा करने के लिए उन्होंने दोबारा हरिदास को ढूंढा और उसके साथ गोवर्धन गिरिराज जी को लेकर पहुंचे। वहां उन्हें स्थापित कर उनका अभिषेक किया और अपनी गलती मानी। इसके बाद हरिदास की प्रतिष्ठा भी पुन: वापस आ गई।

कहानी का अर्थ है कि गिरिराज जी अपने ब्रज को छोड़कर कहीं नहीं जाते हैं। जो भी उन्हें लेकर जाता है उसे जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नोट:- यह कहानी ब्रज में प्रचलित कथाओं के आधार पर लिखी गई है।

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