नई दिल्ली। भारत अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अपनी रक्षा शक्ति को मजबूत कर रहा है। आए दिन भारत द्वारा रक्षा संबंधित समझौते दूसरे देशों के साथ होते रहते हैं। जिसके चलते अब भारत रक्षा के मामले में पहले की अपेक्षा ज्यादा सक्षम हो गया है। भारत सरकार द्वारा रक्षा के लिए नई तकनीक के हथियारों को खरीदने पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही अब भारत एक इजरायली सिस्टम खरीदने जा रहा है। जो ड्रोन्स को मार देने में सक्षम होगा। ड्रोन्स के खतरे से निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए इजरायली सिस्टम का ऑर्डर दिया है। इजरायल की ‘स्मार्ट-शूटर’ कंपनी के स्मैश-2000 सिस्टम को भारतीय नौसेना के लिए लिया जा रहा है। इस सिस्टम को एक-47 या फिर एक-103 राइफल पर फिट किया जाता है ताकि ड्रोन्स पर अचूक निशाना लगाकर मार गिराया जाए। जानकारी के मुताबिक, स्मैश एक इलेक्ट्रो-ऑप्टिक साइट सिस्टम है जो गन के ऊपर लगता है और इसकी मदद से सटीक निशाना लगाया जाता है।
120 मीटर उंचाई तक ड्रोन्स को मार गिरा सकता है-
बता दें कि ड्रोन्स के खतरे से निपटने के लिए रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए इजरायली सिस्टम का ऑर्डर दिया है. इजरायल की कंपनी ने इसे ड्रोन्स और यूएवी के खतरे से निपटने के लिए ही खास तौर से तैयार किया है। ये करीब 120 मीटर उंचाई तक ड्रोन्स को मार गिरा सकता है और दिन-रात दोनों में काम कर सकता है। हालांकि, अभी ये साफ नहीं है कि रक्षा मंत्रालय ने इस तरह के कितने सिस्टम्स को मंजूरी दी है लेकिन माना जा रहा है कि अगले साल के शुरूआत से नौसेना को इस स्मैश-2000 फायर कंट्रोल सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। नौसेना दिवस के मौके पर सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने इस बात की घोषणा की थी कि अटैक-ड्रोन्स से निपटने के लिए नेवी इस तरह के स्मैश-2000 सिस्टम खरीद रही है। इस तरह के एंटी-ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल सवार्म-ड्रोन्स के खिलाफ भी किया जा सकता है। जब एक साथ टिड्डी-दल की तरह बड़ी तादाद में यूएवी किसी युद्धपोत या फिर नेवस बेस पर हमला करने की फिराक में हो।
थलसेना और बीएसएफ भी इस तरह के सिस्टम खरीदना चाहती है-
आपको बता दें कि थलसेना और बीएसएफ भी इस तरह के सिस्टम को खरीदने पर विचार कर रही है। क्योंकि पाकिस्तानी से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर भी पाकिस्तान की तरफ से इस तरह के ड्रोन्स के खतरे लगातार हो रहे हैं। उनसे निपटने के लिए ही थलसेना और बीएसएफ भी इस तरह के सिस्टम खरीदना चाहती है।