पंजाब के कैबिनेट मंत्री औऱ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को उच्चतम न्यायालय ने रोड रेड मामला बड़ी राहत दी है। 1988 में हुई मारपीट के एक मामले में अदालत ने उन पर सिर्फ 1 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के इस फैसले से सिद्धू न सिर्फ जेल जाने से बच गए, बल्कि अब वह मंत्री भी बने रहेंगे। सर्वोच्च अदालत के इस फैसले से सिद्धू काफी इमोशनल हो गए।
साल 2006 में उच्च न्यायालय ने भले ही सिद्धू के साथ एक अन्य आरोपी रुपिंदर सिंह संधू को 3 साल की कैद की सजा सुनाई हो, लेकिन 1999 में ट्रायल अदालत में सुनवाई के दौरान दोंनों आरोपियों को बरी कर दिया गया था। मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचने के बाद 2007 में सुनवाई के दौरान अदालत ने दोंनों को दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्टउच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ही सिद्धू अमृतसर से विधानसभा चुनाव लड़ पाए थे।
रोड रेज मामला: सिद्धू को बड़ी राहत, 1 हजार रूपए का जुर्माना लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी
पंजाब सरकार की ओर से उपस्थित वकील सनराम सिंह सरों ने 30 साल पुराने मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष कहा कि साक्ष्य के अनुसार सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी।सरकार ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं, बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी। इसने कहा कि इस बारे में एक भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि मौत की वजह दिल का दौरा था, न कि ब्रेन हैमरेज। पंजाब सरकार के वकील ने कहा, ‘निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था. आरोपी ए 1 ( नवजोत सिंह सिद्धू ) ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उसकी मौत हो गई।’
ये है पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरनवाला गेट चौरोह के पास सड़क के बीच में कथित रुप से खड़ी जिप्सी में थे। उसी समय गुरनाम सिंह और दो अन्य पैसे निकालने के लिए मारुति कार से बैंक जा रहे थे। गुरनाम ने सिद्धू और संधू से जिप्सी हटाने को कहा, इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई। सिद्धू ने सिंह को बुरी तरह पीटा और अस्पताल में उनकी मौत हो गई।