मुंबई – अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम का नाम मोदी स्टेडियम करने पर अब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से बीजेपी पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा है कि प्रचंड बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है। साथ ही शिवसेना ने कहा कि पिछले पांच साल में आरोप लगाए गए कि कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने इतिहास से सरदार वल्लभ भाई पटेल का नामोनिशान मिटाने का प्रयास किया लेकिन स्टेडियम का नाम बदले जाने से यह जाहिर हो गया है कि असल में कौन ऐसा करने का प्रयास कर रहा है।
पीएम मोदी एक महान नेता : सामना –
बता दे कि शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मोदी को एक महान नेता बताते हुए कहा कि मोदी एक लोकप्रिय नेता है। लोगों ने उन्हें प्रचंड जनादेश दिया लेकिन बहुमत का मतलब बेपरवाह बर्ताव करने का लाइसेंस नहीं है। सरदार पटेल और नेहरू के पास बहुमत देश के विकास की आधारशिला रखने के लिए था। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके अंधभक्तों को लगता है कि यदि वह महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल या इंदिरा गांधी से भी महान है तो इसे अंधभक्ति में एक और मुकाम मानना चाहिए। सामना मे कहा गया कि जिन लोगों ने मोटेरा स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर रखा है दरअसल उन्होंने मोदी का कद घटाने का प्रयास किया है।
ऐसा करने में कुछ भी गलत नहीं : शिवसेना –
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी-शाह सरकार गुजरात में हर बड़ा काम करना चाहती है। इसमें कुछ भी गलत नही है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे भूल गये हैं कि वे देश का नेतृत्व कर रहे है। अहमदाबाद में मोटेरा स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया। अब तक आस्ट्रेलिया का मेलबर्न स्टेडियम दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम था। अब मोदी के नाम वाला यह स्टेडियम सबसे बड़ा होगा। सामना में कहा गया कि नेहरू ने आईआईटी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, भाखड़ा नांगल परियोजना राष्ट्र को समर्पित की लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान क्या काम हुआ, जो सरदार पटेल के नाम पर बने स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया। सामना मे यह भी कहा गया है कि सरदार पटेल का कल तक गुणगान करने वाले लोग एक स्टेडियम के नाम के लिए सरदार पटेल के विरोधी बन रहे है ऐसा लगता है कि आज की राजनीति में पटेल का महत्व खत्म हो गया है और साथ ही उन्होंने यह आशंका भी ज़ाहिर की कि यही चीज पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ होगी।