अहोई की पूजा कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन प्रदोषकाल में की जाती है। इस दिन सभी माताएं सूर्योदय से पहले जगती हैं और उसके बाद स्नान करके माता अहोई की पूजा करती हैं।
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आज के दिन अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन माता स्याहु की पूजा करने का विधान भी है।
अहोई अष्टमी की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के समय पुत्र की लंबी आयु और उसके सुखमय जीवन की कामना करें। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प करें। मां पार्वती की आराधना करें।अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर उनके चित्र के साथ ही साही और उसके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएं। माता के सामने चावल की कटोरी, मौली, सिंघाड़ा आदि रखकर अष्टोई अष्टमी के व्रत की कथा सुनें। सुबह पूजा करते समय लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखें।
इसमें उपयोग किया जाने वाला करवा भी वही होना चाहिए, जिसे करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो। शाम में इन चित्रों की पूजा करें। लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें। अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाने का विधान है, जिसे स्याहु कहते हैं। स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व से करें।
इस दिन तारे निकलने का समय
इस साल अहोई अष्टमी सोमवार, 17 अक्टूबर यानी आज मनाई जा रही है। इस बार अहोई पूजा का समय 17 अक्टूबर, सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर मंगलवार, 18 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। अहोई अष्टमी पर तारे देखकर अर्घ्य देने का विधान है। ज्योतिषियों का कहना है कि अहोई अष्टमी पर आज शाम 06 बजकर 13 मिनट पर तारे निकलेंगे। चंद्र दर्शन का समय रात 11 बजकर 34 मिनट पर रहेगा।