मेरठ। सरकारी पैसों की बेकदरी की एक कहानी जनपद मेरठ में देखने व सुनने को मिली है। मेरठ नगर निगम ने 10 करोड़ की लाइटें कबाड़ कर दी हैं। शहर भर में पुरानी सोडियम लाइटों के बदले 50 करोड़ की लागत से नई LED लाइटें लगवाई जा रही हैं। 10 करोड़ की कबाड़ लाइटों को रखने के लिए नगर निगम के बुद्धिहीन अफसरों ने 25 लाख की लागत से हाल ही में बने आफिस को कबाड़खाना बना दिया है। और अब 10 करोड़ की लाइटें मेरठ व आस-पास के शहरों के कबाड़ी ही खरीदते दिखाई देंगे।
मेरठ में एशिया के सबसे बड़े कबाड़ बाजार के लिए मेरठ नगरनिगम के अफसरों ने एक सुनहरा मौका पैदा कर दिया है। शहर में लगी 40 हजार से ज्यादा सोडियम लाइटों को खंभों से उतारा जा रहा है और उसकी जगह केन्द्र सरकार से आए बजट से नई LED लाइटें लगाई जा रही हैं। बीते 20 सालों में शहर को रोशन करने के लिए निगम ने 50 करोड़ से ज्यादा की सोडियम लाइटें लगवाई थीं, लेकिन शहर के खंभों पर से यह लाइटें लगातार काम होती जा रही हैं। बेहतरीन ब्रांड की इन सोडियम लाइटों की कीमत करीब 3 से साढ़े 3 हजार रूपये प्रती लाइट बताइ जा रही है।
15 अक्टूबर तक पूरे शहर में LED लाइटों को लगाने का अभियान पूरा किया जाएगा। अब तक 28 हजार से ज्यादा लाइटें उतारकर कबाड़ की जा चुकी है। कबाड़ की गई लाइटों को निगम के एक आफिस के कमरे में रखा जा रहा है, जिसे डेकोरेट करने के लिए हाल ही में 25 लाख रूपये खर्च किए गए थे। अफसर कबाड़ की गई लाइटों का अन्य कस्बों और गांव में इस्तमाल करने का प्रस्ताव कर सकते थे। लेकिन कबाड़ियों से सैटिंग होने के बाद इन लाइटों को कबाड़ में विकने से कोई नहीं रोक पाएगा। तथा नगर निगम ने इन लाइटों के बेचने के लिए कमेटी भी बना दी गई है।
मेरठ नगरनिगम के अफसर अगर इन लाइटों को किसी कस्बे या गांव में लगाने के लिए प्रस्ताव बनाते, तो उनकी जेब सूनी रहती और कागजी मशक्कत मुफ्त में करनी पड़ती, लेकिन नहीं, कबाड़ियों को लाइटें नीलाम करके अफसरों को मोटा कमीशन मिलेगा। साथ ही उन ठेकेदारों को भी फायदा होगा। जो लाइटें उतारने के बहाने सैकड़ो लाइटें रास्ते में ही ठिकाने लगा चुके है।