लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी और पंजाब की सरकारें शीर्ष अदालत में आमने-सामने आ गई हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए सबसे पहले ज़मीन गबन के एक मामले में मुख्तार अंसारी के दोनों बेटों अब्बास और उमर के खिलाफ यूपी सरकार की याचिका सुनने से इनकार कर दिया। यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अब्बास और उमर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। शीर्ष अदालत ने कहा, इस मामले में अपनी बात हाईकोर्ट में ही रखें।
‘मुख्तार को पंजाब ले जाना फिल्मी साजिश जैसा’
इसके बाद मुख्तार अंसारी यूपी भेजे जाने के मामले पर प्रदेश सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, यह पूरा मामला फिल्मी साज़िश जैसा है। पंजाब में एक केस दर्ज करवाया गया और अब उसे वहां असंवैधानिक तरीके से रखा जा रहा है। पंजाब पुलिस को शिकायत मिली कि किसी अंसारी ने एक व्यापारी को रंगदारी के लिए फोन किया। यूपी की अदालत से इजाजत लिए बिना मुख्तार को सीधे बांदा जेल से पंजाब ले जाया गया। अगर वाकई उसने व्यापारी को फोन किया था तो अब तक चार्जशीट क्यों नहीं हुई।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, मुख्तार अंसारी की गिरफ्तारी जनवरी, 2019 में हुई। 60 दिन के बाद उसके पास डिफॉल्ट बेल का अधिकार था। मगर, दो साल से न पंजाब पुलिस मुख्तार पर कार्रवाई कर रही है और न वह बेल मांग रहा है। यह न्यायिक प्रक्रिया का उपहास है। मुख्तार अंसारी अपनी सुविधा के हिसाब से कुछ मामलों में पेश भी हुआ है, लेकिन यूपी के वारंट पर कह दिया जाता है कि उसकी तबीयत खराब है। पूरे मामले में मिलीभगत साफ नजर आ रही है।
सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह कर रहा मुख्तार
तुषार मेहता ने मुख्तार के खिलाफ लंबित केस का हवाला दिया। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वर्ष 2005 से मुख्तार जेल में है। वह वहीं से काम करता रहा है। वर्ष 2014 में हाईकोर्ट ने कहा था कि निचली अदालतों में भी उसका दबदबा दिखाई देता है। यूपी की कोर्ट के तमाम वारंट की उपेक्षा की गई है। कई बार कहा गया कि उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। उसी दौरान वह दिल्ली की अदालत में पेश हुआ। मेडिकल सर्टिफिकेट देखिए- कभी लिखा है गला खराब है, कभी लिखा है सीने में दर्द है। मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की अदालत को ही नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय को भी गुमराह कर रहा है।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, न्याय के हित में जरूरी है कि शीर्ष अदालत अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल करे और मुख्तार अंसारी को वापस उत्तर प्रदेश भेजे। पंजाब में दर्ज मुकदमा भी उत्तर प्रदेश भेजा (ट्रांसफर) जाए। उन्होंने दलील देते हुए कहा कि, यह नहीं कहा जा सकता कि राज्य अनुच्छेद 32 की याचिका नहीं कर सकता। यह राज्य का मौलिक अधिकार नहीं होता, लेकिन उनका है जो इन मामलों के पीड़ित हैं।
पंजाब सरकार के वकील ने आरोपों को बताया गलत
वहीं, पंजाब के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि, पंजाब सरकार किसी अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की दलील तकनीकी रूप से गलत है। अगर मुख्तार पंजाब में है तो अदालत के आदेश से। इसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं। हमारे ऊपर आरोप गलत। इसके बाद शीर्ष अदालत उठ गई। अब इस मामले में आगे की सुनवाई कल (गुरुवार) होगी।