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MSME को बढ़ावा देने में उद्यमियों का यह सुझाव आयेगा काम,जानिए

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लखनऊ। एमएसएमई (MSME) वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया भर के 90 प्रतिशत व्यापार आते हैं,यह हम नहीं कह रहे हैं,बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ कहता है। बताया तो यहां तक जाता है कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में इस सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

बात भारत की करें तो यहां पर भी एक बड़ी आबादी को एमएसएमई क्षेत्र में ही रोजगार मिल रहा है,देश की जीडीपी में अहम योगदान है। इसके अलावा कोरोना महामारी के इस दौर में आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने में एमएसएमई सेक्टर की ही महत्पूर्ण भूमिका बतायी जा रही है।

कुलमिलाकर बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बाद भी,मौजूदा दौर में यह सेक्टर बदहाल है। हालात यह हैं कि करीब 50 फीसदी उद्यम बंद होने के कगार पर आ गये हैं।

इन्हीं सब समस्याओं और उसके समाधान पर भारत खबर संवाददाता वीरेंद्र पाण्डेय ने एमएसएमई सेक्टर से जुड़े उद्यमियों से खास बातचीत की। पेश है उद्यमियों से हुयी बातचीत के प्रमुख अंश…

बंद पड़े प्लांटों को चलाना बड़ी जिम्मेदारी:राजीव सूद
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फूड प्रोसेसिंग कमेटी (आईआईए) के चेयरमैन राजीव सूद

फूड प्रोसेसिंग कमेटी (आईआईए) के चेयरमैन राजीव सूद ने बड़ी ही बेबाकी से एमएसएमई सेक्टर विशेषकर फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री की समस्याओं तथा उसका निदान कैसे हो सकता है,सरकार इसमें कैसे मदद कर सकती है,इस पर अपनी राय रखी है। उन्होंने कहा कि बंद पड़े प्लांटों को चलाना बड़ी मेहनत व जिम्मेदारी का काम है।

राजीव सूद फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व उसमें काम करने वाले श्रमिकों के भविष्य को लेकर चिंतित नजर आये। उन्होंने कहा कि बीते डेढ़ साल जब से कोरोना काल शुरू हुआ तब से  फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के बहुत से प्लांट बंद हैं। जिन्हें चलाना नये सिरे से शुरू करने के बराबर है,यानी की बंद प्लांट को चलाने के दौरान मरम्मत का काम कराना पड़ता है,जिसमें लंबा समय व खर्च लगता है,इसके पीछे का कारण प्लांट में लगी मशीनरी को ठीक कराने के लिए बाहर से इंजीनियर व टेक्निशियन को बुलाना शामिल है।

फूड इंडस्टी में इण्टरमीडिएट प्रोडक्ट जैसे की मसाले व साॅस आदि की सप्लाई पूरे कोरोना काल में न के बराबर रही,जिसका सीधा असर उसके उत्पादन पर भी पड़ा। इस वजह से प्लांट चले नहीं और श्रमिकों को बैठना पड़ा। लेकिन हम श्रमिकों को छोड़ नहीं सकते।

कहां-कहां पड़ा असर

उन्होंने बताया कि एक पूरी श्रृंखला होती है,जिसमें किसी वस्तु का उत्पादन,उसकी पैकेजिंग तथा बाजार तक पहुंचाने के लिए यातायात तथा बाजार की जरूरत होती है। इनमें से किसी एक जगह पर भी दिक्कत आयेगी,तो पूरा सेक्टर डाउन हो जायेगा।

सुझाव

राजीव सूद के मुताबिक सरकार को फाइनेंस व तकनीक दोनों स्तरों पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा बाजार की उपलब्धता भी आवश्यक है। उन्होंने बताया कि तकनीकी तौर पर मद्द के लिए सरकार को सभी शहरों में एक तकनीकी बैंक य मेंटीनेंश सेंटर खोलना चाहिए, जिससे छोटे उद्योगों को तकनीकी सहायता समय रहते मिल सके। इसके अलावा वह बताते हैं कि बीते डेढ़ साल से कोई प्रदर्शनी नहीं लगी। समय-समय पर प्रदर्शनी का लगना भी जरूरी है,जिससे हम अपने प्रोडक्ट का प्रचार प्रसार कर सकें।

जीएसटी पर विचार करने की जरूरत: प्रियेश गर्ग
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सहारनपुर के उद्यमी प्रियेश गर्ग

सहारनपुर के उद्यमी प्रियेश गर्ग एमएसएमई सेक्टर की समस्याओं व उसके निदान के बारे में काफी स्टडी कर चुके हैं। प्रियेश गर्ग के मुताबिक एमएसएमई काफी संघर्षशील इंडस्ट्री है। कोरोना काल में उद्यमियों का पैसा पूरी तहर से निजी व सरकारी क्षेत्र में फंस चुका है। वह बताते हैं कि सरकार अपना पैसा तो समय पर लेती है,लेकिन उद्यमी का पैसा समय पर नहीं लौटाती।

प्रयेश गर्ग बताते हैं कि जो भी प्रोडक्ट सरकारी क्षेत्र में दिया जाता है,उसका भुगतान समय पर नहीं होता है,वहीं जीएसटी बिल काटने पर ही ले लिया जाता है,जबकि निजी क्षेत्र से भुगतान आने में महीनों का वक्त लगता है।

प्रियेश गर्ग सुझाव देते हुये कहते हैं कि व्यापारी जिस बिल का पेमेंट करे,उसी का जीएसटी इनपुट ले सके। इसके अलावा प्रयेश गर्ग भी हर शहर में एक इंजीनियरिंग वर्कशाप की जरूरत बताते हैं। इसके लिए वह उद्यमियों तथा सरकार को मिलकर काम करने की जरूरत पर बल देते हैं।

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