बिहार में कोरोना के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं। राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या पर विवाद खड़ा हो गया है। जारी आंकड़े के मुताबिक मौतें कम हुई हैं, लेकिन शमशान घाट के बाहर 100 से ज्यादा चिताएं जल रही हैं।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब पूरे प्रदेश में कोविड से कम मौतें हुईं तो 100 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कैसे हो गया ?
भागलपुर बना कोरोना हॉट स्पॉट
प्रधानमंत्री का कह रहे हैं कि धैर्य और निडरता से कोरोना का मुकाबला करें। लेकिन बिहार में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा अब एक दिन में 10 हजार के पार हो गया है। जिस कारण भागलपुर हॉट स्पॉट बना हुआ है। अगर पिछले एक सप्ताह की बात की जाए तो सिर्फ भागलपुर में लगभग 100 से ज्यादा कोरोना पीड़ितों की मौत हुई है।
दरअसल सरकारी और निजी अस्पतालों की व्यवस्था नाकाफ़ी होती दिख रही है। प्रशासन अलर्ट है, मुस्तैदी भी दिख रही है। बावजूद उसके अस्पताल में वैसी मुस्तैदी नहीं दिख रही है। जिसका नतीजा ये है कि कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
शवदाह गृह के ऑपरेटरों पर कहर
भागलपुर में विद्युत शवदाह गृह के ऑपरेटर राहुल राय और दूसरे लोगों का कहना है कि शव के अंतिम संस्कार को किसी तरह मैनेज कर चला रहे हैं। उन लोगों को पिछले 10 महीने से वेतन नहीं मिला है।
नगर निगम सिर्फ भरोसा दे रहा है। सरकारी और निजी अस्पताल की अच्छी व्यवस्था नहीं रहने के कारण कोविड से मौत पर परिजन जो कह रहें हैं वह आश्चर्य लग रहा है।
पीरपैंती के चंदन सिंह बताते हैं कि सरकारी अस्पताल में डर से नहीं गए और सरकार द्वारा कोविड काल में अधिकृत निजी अस्पताल में अपने मरीज को ले गए तो वहां उनकी मौत हो गई।
इससे साफ जाहिर होता है कि अस्पताल में उचित इलाज नहीं है। शमशान घाटों पर डराती कहराती शवों से लोगों को संभलने, एक्टिव रहने करुणा के नियमों की पालन करने आदि की जरूरत है।