नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान आंदोलन का आज 9वां दिन है। जब तक किसानों की मांगो का कोई हल नहीं निकलता है, तब तक किसान हटने वाले नहीं है। किसानों में दिन-प्रतिदिन कृषि कानून का विरोध प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। यह विरोध प्रदर्शन अब दिल्ली तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि देश के हर कोने में अब किसान आंदोलन की आवाज गूंज रही है। जिसके चलते अब राजनीतिक दल भी किसानों के समर्थन में आ गए है। इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों को कॉल कर फोन पर बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया। ममता ने एकजुटता दिखाते हुए किसानों की उस मांग से सहमति जताई जिसके तहत वो तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
ममता बनर्जी भी किसान आंदोलन को लेकर एक्टिव-
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी किसान आंदोलन को लेकर एक्टिव हो गई हैं। शुक्रवार को उन्होंने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कुछ किसानों को कॉल कर फोन पर बात की और उन्हें अपना समर्थन दिया। मुख्यमंत्री ममता ने एकजुटता दिखाते हुए किसानों की उस मांग से सहमति जताई जिसके तहत वो तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। ममता ने एकजुटता दिखाने के लिए टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को तृणमूल कांग्रेस की ओर से किसानों के साथ मुलाकात करने के लिए भेजा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए हो रहे इस आंदोलन के पक्ष में खड़ी रहेगी।
ममता बनर्जी ने अपने ट्वीट में लिखा-
ममता बनर्जी ने शुक्रवार को अपने ट्वीट में लिखा, “14 साल पहले 4 दिसंबर 2006 को, मैंने कोलकाता में 26 दिन की भूख हड़ताल शुरू की थी। जिसमें मांग की गई थी कृषि भूमि का जबरन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है। मैं उन सभी किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करती हूं जो केंद्र के कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।